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अकेले उन रास्तों में वह सहम सी गई थी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मंजू धपोला कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड अकेले उन रास्तों में वह सहम सी गई थी। वह चार थे और बेचारी अकेली खड़ी थी।। बेदर्द है जमाना सुना था उसने। लग रहा था वह बेदर्दी देखने वाली थी।। कोमल से हाथो को कस के पकड़ा था उन जालिमों ने। और वो बस…