थाने में शेरू भाई

white-lionशेर चचा की नियुक्ति हो गई,

वाहन चालक के पद पर।

तेज तेज’ बस ‘लगे चलाने,

दिल्ली कलकत्ता पथ पर।

 

तीन बार सिगनल को तोड़ा,

चार हाथियों को रौंधा।

डर के मारे बीच सड़क पर,

भालू गिरा, हुआ औंधा।

 

विसिल बजाकर किसी तरह से,

चूहे ने ‘बस’ रुकवाई।

उसी समय पर दौड़े आये,

उठकर के भालू भाई।

 

दोनों ने जाकर थाने में,

रपट शेर की लिखवाई।

जब से अब तक बंद पड़े हैं,

थाने में शेरू भाई।

 

मनमानी अब किसी तरह की,

बिल्कुल नहीं चलेगी।

कितना भी ऊँचे कद का हो,

उसको सजा मिलेगी।

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

2 COMMENTS

  1. बच्चों के लयें इतनी सारी प्यारी प्यारी कल्पनायें कहाँ से सूझती हैं आपको, एक सचित्र पुस्तक मे ये कविताये संग्रह
    करने लायक हैं।नानी दादियाँ बहुत ख़रीदेगी।

    • सेवा निवृत्ति के बाद बस पौत्र पौत्रियों के साथ समय बीतता है , बाल‌ गीत कल्पना में उतरते रहते हैं और लिखता रहता हूं| फिर आप जैसे साहित्यकारोंसे प्रोत्साहन मिलता हि तो क्षमता बढ़ जाती है|

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