pravakta.com
शिव सरिस नृत्य करत रहत, निर्भय योगी ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
शिव सरिस नृत्य करत रहत, निर्भय योगी;सद्-विप्र सहज जगत फुरत, पल पल भोगी !भव प्रीति लखत नयन मेलि, मर्मर सुर फुर;प्राणन की बेलि प्रणति ढ़ालि, भाव वाण त्वर !तारक कृपाण कर फुहारि, ताण्डव करवत;गल मुण्ड माल व्याघ्र खाल, नागमणि लसत !ज्वाला के जाल सर्प राज, शहमत रहवत;गति त्रिशूलन की त्रास…