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कंधे प‌र‌ न‌दी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
यदि हमारे बस में होता, नदी उठाकर घर ले आते| अपने घर के ठीक सामने, उसको हम हर रोज बहाते| कूद कूद कर उछल उछलकर, हम मित्रों के साथ नहाते| कभी तैरते कभी डूबते, इतराते गाते मस्ताते| "नदी आई है"आओ नहाने, आमंत्रित सबको करवाते| सभी उपस्थित भद्र जनों…