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श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी
इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिन्दी व्यंग्य के भीष्मपितामह हरिशंकर परसाई ही माने जाते हैं किंतु गत शताब्दी के सातवें दशक
वीरेन्द्र जैन