सिब्बल साहब!सोशल नेटवर्किंग तो समाज का ‘‘सेफ़टी वाल्व’’है!

इक़बाल हिंदुस्तानी

 आम आदमी और वीआईपी लोगों के लिये अलग अलग कानून? इंटरनेट के भी सदुपयोग के फायदों के साथ साथ दुरुपयोग के नुक़सान भी मौजूद हैं लेकिन केवल इस एक वजह से अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हमारे दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल जी सुना है वकील भी हैं। उनको यह भी पता होगा कि 11 अप्रैल 2011 को पास किया गया सूचना प्रोद्योगिकी कानून सोशल नेटवर्किंग साइटों पर होने वाली अश्लील और अपमानजनक गतिविधियों को रोकने के लिये पहले से बना हुआ है। इस कानून की धारा 66 ए के अनुसार सरकार द्वारा शिकायत करने पर आपत्तिजनक सामाग्री हर हाल में 36 घंटे के अंदर हटानी होगी नहीं तो दोषी के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है। सवाल उठता है कि जब इस तरह का पर्याप्त साइबर कानून पहले से ही मौजूद है तो फिर सिब्बल साहब ऐसी बात क्यों कर रहे हैं जिससे यह लगे जैसे यह बहुत बड़ी समस्या है कि किसी के इस मीडिया के द्वारा मनमानी करने पर क्या किया जाये? अजीब बात यह है कि आज तक सरकार की तरफ से इस तरह की मांग अपनी तरफ से तो क्या किसी के शिकायत करने पर भी कभी नहीं उठाई गयी जबकि अरब देशों में सोशल नेटवर्किंग साइटों द्वारा तख्तापलट होने और सुपर पीएम सोनिया गांधी के बारे में इंटरनेट पर कुछ आपत्तिजनक सामाग्री डाले जाने के बाद में सरकार हरकत में आई। इससे पहले जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अन्ना हज़ारे जी के बारे में बेसिरपैर के आरोप लगाये थे तो तब सिंह के बारे में इन साइटों पर ऐसी सामाग्री देखने को मिली तो उन्होंने इसी साइबर कानून के ज़रिये अपनी एफआईआर थाने में दर्ज करा दी थी। यह बात समझ से बाहर है कि आज सरकार को फेसबुक, ब्लॉग, आरकुट और यू ट्यूब पर अचानक अश्लील, अपमानजनक और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली चीज़े कैसे नज़र आने लगीं? यह काम तो इंटरनेट पर लंबे समय से हो रहा है। हम भी यह मानते हैं कि इस तरह की चीज़े वास्तव में गलत हैं और नहीं होनी चाहिये लेकिन जहां तक हमारी जानकारी है न तो किसी धार्मिक संगठन और न ही किसी सामाजिक और राजनीतिक दल ने इस तरह की हरकतों का कभी संज्ञान लिया और न ही इनकी वजह से कोई तनाव, विवाद और दंगा हुआ। दरअसल सवाल नीति नहीं नीयत का है। आम आदमी भूखा प्यासा नंगा कुत्ते बिल्ली की मौत मर जाये तो सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेेंगती लेकिन उसके नेताओं की शान में गुस्ताखी हो या उसकी सत्ता को इन साइटों से ज़रा सा भी ख़तरा महसूस हो तो सरकार फौरन हरकत में आ जाती है। आम आदमी का कोई मान सम्मान और जीवन जीने का बुनियादी संवैधानिक अधिकार नहीं लेकिन नेताओं के राजसी ठाठबाट आज भी बदस्तूर जारी हैं। पीएम का काफिला दिल्ली के एक अस्पताल वाले रोड से गुज़रता है तो मौत और जिं़दगी के बीच झूल रहे अनिल जैन नाम के एक नागरिक की एंबुलैंस सुरक्षा कारणों से रोकने से असमय दुखद मौत हो जाती है। ऐसे ही पीएम कानपुर का दौरा करते हैं तो अमान खान नाम के बच्चे की उनके रोड से न गुज़रने देने से इलाज न मिलने से दर्दनाक मौत हो जाती है। हज़ारों किसान कर्ज में डूबकर अपनी जान दे देते हैं तो कोई बात नहीं। आम आदमी थाने से लेकर तहसील और अदालत से सरकारी अस्पताल तक चक्कर काट काटकर अपने जूते और उम्र ख़त्म कर देता है लेकिन न तो उसकी सुनवाई होती है और न ही उसको न्याय और सम्मान मिलता है। उल्टे उससे रिश्वत लेकर खून चूसने के साथ साथ तिल तिल कर मरने को उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है तब हमारे मंत्री जी और नेताओं को सांप सूंघ जाता है। सूचना और प्रोद्योगिकी मंत्री सिब्बल साहब को यह भी पता होगा कि आज तक ऐसा कोई साफ़्टवेयर नहीं बना जो यह पता लगा सके कि कोई आदमी इंटरनेट पर क्या लिखने या फोटो डालने वाला है। वैसे भी अपराध होने के बाद ही अपराधी को सज़ा दी जा सकती है। फिर यह एकमात्र मीडिया है जहां राजा रंक सब बराबर हैं।

मैं वो साफ ही न कहदूं जो है फर्क तुझमें मुझमें,

तेरा दर्द दर्द ए तन्हा मेरा ग़म ग़म ए ज़माना।

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इक़बाल हिंदुस्तानी
लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

2 COMMENTS

  1. sibbal saheb ko भाषण देने की आदत ho गए ,कारन मंत्री जो हे ,किसी को बोलना तो इन का काम हे दुश्रे दिन माफ़ी मांग लेते हे नेता की ख़ाल मोटी जो होती हे ,सता सुख भोगो और मजे लो

  2. सर सिब्ब्ले साहेब तो कौच भी कहे देते ही बड़े मन त्रि जो हगे ,पद से उतरने के बाद …….

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