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चिन्ह - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कोई अविगत "चिन्ह" मुझसे अविरल बंधा, मेरे अस्तित्व का रेखांकन करता, परछाईं-सा अबाधित, साथ चला आता है । स्वयं विसंगतिओं से भरपूर मेरी अपूर्णता का आभास कराता, वह अनन्त, अपरिमित विशाल घने मेघ-सा, अनिर्णीत, मेरे क्षितिज पर स्वछंद मंडराता है । उस "चिन्ह" से जूझने की निरर्थकता मुझे…