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सिकन्दर - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
शिबन कृष्ण रैणा रात के ग्यारह बजे और ऊपर से जाड़ों के दिन। मैं बड़े मज़े में रजाई ओढ़े निद्रा-देवी की शरण में चला गया था। अचानक मुझे लगा कि कोई मेरी रजाई खींचकर मुझे जगाने की चेष्टा कर रहा है। अब आप तो जानते ही हैं कि एक तो…