एम. एम.चन्द्रा
भाई! गाड़ी की सर्विस करानी है
सर! अभी तो 9 भी नहीं बजे और पुलिस को देखकर आपको क्या लगता है? क्या आज कोई काम हो पायेगा ? सर यदि आप अपनी गाड़ी को बचाना चाहते हो तो आज यहाँ से गाड़ी ले जाओ और किसी ओर दिन सर्विस करा लेना.
भाई! ये पुलिस वाले हड़ताल कराने के लिए नहीं है, बल्कि हड़ताल को रोकने के लिए है. क्या आप अपने दोस्तों और दुश्मनों की पहचान नहीं कर सकते? फिर भी आप चिंता मत करो. यहाँ हड़ताल का कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा. यदि कोई फर्क पड़ना होता तो एक दिन पहले ही सूचना मिल जाती और आप आज छुट्टी पर होते या हड़ताल पर .
अच्छा सर ! पूरी खबर तो जैसे आपके पास ही है.
हां भाई! ..ये हड़ताल आप -हम जैसे दिहाड़ी मजदूरों की नहीं है वरन उन मजदूरों की हड़ताल है जो सरकारी नौकरी करते है या संगठित है.
अच्छा सर ! मैं तो समझा था कि हम भी मजदूर है…. ओह हम ठहरे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर.
लेकिन सर! उनकी मांग तो संगठित- असंगठित दोनों क्षेत्र लिए है .
हां भाई ! है न … पहले से ज्यादा मजदूरी मिलनी चाहिए…… यदि ये हमारी आवाज उठाते तो क्या हमें पता नहीं चलता. यदि ये लोग हमारी आवाज उठा रहे तो बाकी जनता इनके साथ क्यों नहीं है?
सर! जनता सब जानती है कब ..क्या करना है?
लेकिन सर ! फिर ये देश के पैमाने पर देश की सबसे बड़ी हड़ताल देश के प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन हड़ताल पर क्यों है? . फिर कैसे राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 15 करोड़ कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है? और फिर किस सरकार ने किस ट्रेड यूनियन की मांगों पर सहमति जताई थी ?
भाई सरकार की बातें सरकार जाने और यूनियन की बातें यूनियन जाने, हम आपको क्या ? लेकिन इतना पता है भाई !सरकार अभी बची रह गयी सरकारी सम्पत्ति को ओने पौने दामों पर देशी विदेशी कंपनियों को बेचना चाहती है…और यूनियन अपनी हिफाजत के लिए कुछ न कुछ तो करेगी ही. अच्छा ये बताओ कि दिल्ली में तुम काम करते हो तनख्वाह मिलती है मात्र आठ हजार रुपये. क्या ये सब तुम्हारी तनख्वाह के बारे में नहीं जानते है ? भले मानस! सब को पता है … सरकार को पता है! यूनियन को पता है! बस हमको ही नहीं पता कि ये हड़ताल आम मजदूरों के लिए है हमारी सेलरी बढ़ाने के लिए है और हम मुर्ख है जो अपनी सेलरी नहीं बढवाना चाहते? कैसा कल युग….है … कैसा जमाना आ गया है भाई?
क्या तुम्हारी कम्पनी में यूनियन है? …..नहीं! क्या बना सकते हो? …. नहीं!
भाई मालिक बनाने ही नहीं देगा … सरकार ही मालिक है और मालिक ही सरकार है .. वो तो कभी भी निकाल सकता है. किसी को भी भरती कर सकता है. हमें तो हमेशा डर लगा रहता है कब नौकरी चली जाये हड़ताल के बारे में तो क्या छुट्टी के बारे में भी सोचने से डर लगता है.
भाई! यह एक दिन की हड़ताल है. सरकार को भी पता है. फिर सरकार इनकी बातें क्यों मानेगी? इन्होंने अनिश्चित हड़ताल क्यों नहीं की….. जैसे गाजियाबाद, उत्तराखंड, फरीदाबाद , उड़ीसा, नॉएडा आदि जगह पर वाले पिछले कई सालों से हड़ताल कर रहे है. उनकी मांगे तो आज तक नहीं मानी गयी. न ही उनके लिए कोई हड़ताल करने आया …न जाने कितने किसान मर रहे है … उनके लिए तो कोई नहीं आया .
सर मुझे लगता है आप संघटन की शक्ति को नहीं पहचान पाते … देखो आज सिर्फ मजदूरों की ही बात, हर चेनल पर हो रही है .. हर अखबार की खबर है यह हड़ताल.
भाई गोर से देखो! मजदूरों के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है या उनको देश का दुश्मन दिखाया जा रहा है. इनकी हेडलाइन है ….. हड़ताल से आम आदमी परेशान …… हजारों करोड़ों का नुकसान … इलाज न मिलने से वो मारा वो गिरा.
सर मुझे तो लगता है कि आन्दोलन के खिलाफ है. ये हड़ताल सिर्फ वेतन बढ़ाने की हड़ताल नहीं बल्कि बेहतर वेतन के साथ साथ सरकार की नई श्रमिक और निवेश नीतियों के विरोध में यह कदम माना जाना चाहिए.
भाई !सरकारी वेतन भत्तो की लड़ाई है ये सब. मजदूरों की लड़ाई तो किसान मजदूर ही नहीं टीचर, डाक्टर, बुनकर, सब मिलकर लड़ते है. जनता साथ देती है .. हड़ताल निश्चित नहीं होती… जीने मरने तक लड़ने की बातें होती है… महिलायें और बच्चे शामिल होते है.
देखो न भाई ! जब तक हमने हड़ताल पर बात की तब तक हड़ताल समाप्त भी हो गयी और इसका नतीजा भी निकल गया.
अब बात समझ में आई कि 15 करोड़ लोग एक साथ यदि हड़ताल करे तो शायद दुनिया की कोई भी सरकार एक दिन से ज्यादा नहीं चल सकती. कुछ दिन पहले ही विदेशों में होने वाली हड़ताल के बारे में पूरी दुनिया जानती है. वहां तो 10 बीस लाख लोगों ने मिलकर हड़ताल करी, सरकारें हिल गयी और रात ही रात में नयी सरकार बन गयी. भारत में जिस दिन 15करोड़ तो छोड़ो, 5 करोड़ भी लोग भी मजदूर के पक्ष में खड़े हो जाएंगे उस दिन हड़ताल नहीं इन्कलाब होगा. इत्ते लोग कभी हड़ताल नहीं करते इन्कलाब करते है. भाई फिर मिलेंगे…. लो आपकी गाड़ी की सर्विस भी हो गयी .