1. बैरी अस्तित्व मिटा गया ..
निज आवास में घुस
बैरी अस्तित्व मिटा गया
आवासीय चोकिदारों को
धूली चटा गया …
सुशांत सयुंक्त परिवार में
बन मेहमान ठहरे थे वे
कुटिल!! मित्रता के नाम पर
यूँ बरपाया कहर
की सयुंक्त की सारी सयुंक्ता ही मिटा गया
जाने किस-किस के नाम पर
सबको आपस में लड़ा गया
बैरी अस्तित्व मिटा गया
माँ की ममता
पिता का क्षोभ
किया दोनों ने ही
घोर प्रतिरोध
हर इंकार पर जो
इंसान ही मिटा गया
छद्म रूप में कल
वो जो घर में आ गया
बैरी अस्तित्व मिटा गया
दान दिया हैं या मांगी हैं भीख
मिली नहीं कोई सच्ची सीख
निशानी के तोर पर
वृक्ष फूट का गाड़ गया
सगे बहन- भाइयो में
एक दिवार ही बना गया
निज आवास में घुस
बैरी अस्तित्व मिटा गया
2. तबाही का कारवां
मेरा कारवां चला था
तबाही के बीचो बीच
नजरो में बसने वाले
सब नज़ारे गायब थे
रह गए थे अब केवल
मनहूसियत के निशान वंहा
मुबारक खिल खिलाते चेहरे
सब गायब थे
छोड़ा न थे जिसने कभी
अपनी माँ का आँचल
आज एक टहनी की गोद को तरसा था
खुदा खुद शर्मसार हो जाये
अपनी करतूत पर
उसका कहर कुछ
इस कदर बरसा था
आशियाने सब ढह गए
रेत की तरह
सभी सोचते रह गए
क्या हुआ ? इसकी वजह ??
सोच पाते इतना तो कुछ किया होता
काश! प्रकृति ने उन्हें
एक मोका तो दिया होता
पर किया न तरस उसकी क्रूरता ने
मचाया तांडव समुंदरी दुष्टता ने
किरणे जो सजा रहे थे
नयी खुशियों की तलाश में
अब धुंडते हैं अपने
लाशो के ढेर में
कुश हताश से
किसी का सहारा छिना
कोई बेसहारा रह गया
मुझे भी समाता अपनी गोद में
टूट कर कोई ये कह गया
मुश्किल हो गया धुन्ड़ना खुद को ही
हर कोई अकेला रह गया
पर जो भय मुझे इस बार
वो था मानवीय पहचान
न कोई सिक्ख न मुसलमान
आज हर कोई था एक इंसान
हर हाथ बड़ा था दुसरे हाथ को
सभी दे रहे थे अपना साथ हर किसी को
कायम रहे यही इंसानी जज्बा
हर हाल में
ये ही दुआ हैं मेरी हर साल में
खुशबु जी की रचना तबहीं का कारवां संवेदना के संसार में खींच ले गयी
वह खुशबुजी, क्या पीड़ा व्यक्त की है. लगता है अंतर्मन तक मैं झिंझोड़ दिया गया हूँ,कोई मित्र,कोई पडौसी ,कोई रिशतेदार नहीं जो फूट की पीड़ा को दूर कर सके.कोई नेता.धर्माचार्य ऐसा नहीं जो पेबंद लगाने का कम कर सके. वह क्या सशक्त अभिव्यक्ति है.धन्यवाद.