प्यार भरे कुछ मुक्तक

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दिल लेकर पूछती हो कौन हो तुम।
जान कर भी अनजान बनती हो तुम।।
दिल के बदले दिल दिया था मैंने।
पूछता हूं इनका ज़बाब क्यों मौन हो तुम।।

भली भांति जानती हो कौन हूं मै तुम्हारा।
मेरे पास वह दिल है जो कभी था तुम्हारा।।
ये सच है मै परछाई हूं तेरी तू परछाई है मेरी।।
झांक कर देखो तुम देखो मिलेगा दिल तुम्हारा।।

पहन कर गुलाबी साडी,लग रहा गुलाब सा बदन।
गुलाब भी शरमा रहे,देखकर तुम्हारा ये बदन।।
माना कि गुलाब मे होते है बहुत ही कांटे।
कांटे भी मुस्करा रहे हैं,देखकर तुम्हारा ये बदन।।

भले ही बूढ़े हो गए हैं,दिल तो अभी जवां है।
इंजिन भले ही पुराना है,पिस्टन तो अभी रवा है।।
इल्तिज़ा है बस ऊपर वाले तुझी से।
रखना दोनों को सलामत यहीं मांगते दुआ है।।

बिखरे है रंग देखो होली के संग।
चेहरा गुलाबी देख दुनिया है दंग।।
मस्ती में आज लगे छोरा रंगीला।
छेड़े है सबको देखो पीकर भंग।।

न किसी की छेड़ा है न पी है मैंने भंग।
मै तो रहता हूं अपने साथियों के संग।।
इस होली पर ऐसी तौमत तो न लगाओ।
मै तो प्यार से खेलता हूं होली सभी के संग।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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