बेटे की सीख‌

vote
बेटे ने उस दिन बापू से,
कहा,पिताजी वोट डालिये|
आज मिला चुनने का मौका,
इस मौके को को नहीं टालिये|

यह अवसर भी गया हाथ से,
पांच साल फिर न आयेगा|
थोड़ी सी गफलत के कारण,
गलत आदमी चुन जायेगा|

ऐसे में तो अंधकार के,
हाथों सूरज हार जायेगा|
झूठों के चाबुक सॆ सच्चा,
निश्चित ही सच मार खायेगा|

यह कहना है व्यर्थ पिताजी,
कि चुनाव से क्या करना है?
”  सच्चाई के वोट वोट से,
अच्छों की रक्षा करना है|”

उठो पिताजी करो शीघ्रता,
अच्छे मतदाता बन जाओ|
किसी योग्य अच्छे व्यक्ति को,
चलो वोट डालकर आओ|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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