बिन ममता सब सून

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जग मोहन ठाकन

रहिमन ममता राखिये , बिन ममता सब सून । सभी प्राणी अपने बच्चों का तब तक पालन पोषण करते हैं जब तक वे स्वयं भोजन अर्जन एवं अपनी रक्षा करने में समर्थ नहीं हो जाते ।परन्तु बच्चा तो बच्चा होता है, वह बिना समर्थ हुए ही सोचने लगता है कि अब वह समर्थ हो चुका है और उसकी मा अनावश्यक ही उसकी चिंता करती है और उसे दुत्कारती है। एक शेरनी अपने बच्चों को शिकार के दांव पेच सिखा रही थी ,तभी एक बच्चे ने एक झावा ,एक छोटा जानवर जिसके सारे शरीर पर कांटे होते हैं तथा वह अपने बचाव के लिए सिमटकर कांटेदार गेंद की तरह गोल रूप धारण कर लेता है , को अपने मूंह में ले लिया । शेरनी तुरंत बच्चे को उसे मूंह से गिरवाने के लिए दौड़ी । क्योकि शेरनी जानती थी कि यदि बच्चे ने इस कांटेदार जानवर को निगल लिया तो उसकी जान आफत में पड़ जायेगी । परन्तु बच्चा अपने आप को यह मानने लगा था कि वह समझदार हो चुका है और उसकी मां तो उसे खामखा मना कर रही है । हारकर शेरनी को एक ममतामयी झापड़ मारना पड़ा तब बच्चे ने झावा गिराया ।

मां की यह ममता सार्वभौमिक है, इसी ममतावश ही बच्चों को प्यार ,दुलार व फटकार मिलती है। परन्तु लोगों को पता नहीं क्यों जलन है, मां की ममता को भी सहन नहीं कर पाते । भला बंगाल की शेरनी ने अपना ममता रूप धारण कर जब अपने ही एक बच्चे को ” झावा ” । रेल किराया वृद्धि । मूंह में न पकड़ने को कहा तो भारतीय राजनीति में बवाल मच गया । बच्चा भी अड़ गया अपनी जिद पर , बोला – ” नहीं मैं तो झावा पकड़ूंगा । इस छोटे से जानवर को निगलना बेशर्मी निगलने से बेहतर है । ” बच्चे में अहंकार संचार करने लगा कि वह अब बच्चा नहीं है, जो हर काम मां से पूछ पूछ कर ही करे । उसे लगा कि इस झावे को निगलने में उसकी वाह वाही होगी और छोड़ने में फजीहत । जब सभी रेल कर्मचारी संगठन उसके पक्ष में हैं और खुद प्रधानमंत्री भी उसके साथ हैं तो वह खुद क्यों बच्चा बना रहे । उसने -” अब तो बड़े बन जाओ ” की तर्ज पर बड़ा बनने का पूरा प्रयास किया । पार्टी के निर्देश के बावजूद इस्तीफा देना उचित नहीं समझा । बच्चे को कानून की जानकारी हो गर्इ थी कि कोर्इ भी मंत्री तब तक मंत्री रह सकता है जब तक प्रधानमंत्री उसे चाहे । उसे लगा कि प्रधानमंत्री का हाथ उसके सिर पर है तो फिर उसे काहे की चिंता । परन्तु बच्चा भूल गया कि प्रधानमंत्री के सिर भी किसी का हाथ है, और वो ” हाथ ” तभी तक साथ देता है जब तक उस ”हाथ ” के साथ मिले हाथ साथ देते हैंं ।

जब बंगाल की शेरनी ने दहाड़ लगार्इ तो खुद हाथ को खतरा हो गया और वह ”हाथ ” बच्चे के सिर से झट से उठ गया । ”हाथ” को तो पता है- ”रहिमन ममता राखिये , बिन ममता सब सून ।” फिर क्या था जो होना था वही हुआ ं।अब बच्चा भी समझ गया कि वह अभी समर्थ नहीं हुआ है और उसे अभी भी ममता के आंचल की जरूरत है।

पता नहीं क्यों खुद के बल की बजाय बैटरी के रिमोट से उड़ान भरने वाले खिलौने हवार्इ जहाजों को यह अहसास नहीं रहता कि उनकी उड़ान तभी तक आगे जा सकती है, जब तक रिमोट चाहता है , वर्ना तो रिमोट के वापसी निर्देश पर उस खिलौने को वापस ही आना पड़ता है । और यदि खिलौना ”वापसी ”की कमाण्ड को अमान्य कर देता है तो रिमोट में एक और बटन भी होता है -”क्रैश ” का ,जिसे दबाते ही खिलौना क्रैश होकर धरती में विलीन हो जाता है,फिर कभी नहीं उठ सकता । इसी लिए कहा गया है- बच्चों को ममता की भाषा व ताकत याद रखनी चाहिए ।

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