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व्यंग्य/महंगाई डायन के नाम एक खुला खत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
गिरीश पंकज जन-जन जिसके नाम से खौफ खाता है। जिसका नाम सुनते ही भयंकर ठंडी में भी पसीना आ जाता है, ऐसी हे महंगाई डायन, तुमको तो दूर से ही प्रणाम। हमने सुना है, कि डायन कम से कम एक घर तो छोड़ ही देती है। तुमसे करबद्ध प्रार्थना है…