व्यंग्य: खट्टे सपने के सच – अशोक गौतम

0
152

eagle_manरात व्यवस्था की दीवारों से खुद को लहूलुहान करने के बाद थका हारा छाले पड़े पावों के तलवों में नकली सरसों के तेल की मालिश कर नकली दूध का गिलास पी फाइबर के गद्दों पर जैसे कैसे आधा सोया था कि अचानक जा पहुंचा गांव। देखा गांव वाले लावारिस छोड़ी अपनी गायों को ढूंढ ढूंढ कर वापस ला रहे थे। गांव के आंगन में गाय गरदन हिला हिला हंसाती रही। कटोरे का दही था कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मक्खन से थाली की सारी रोटियां तर। अपने खेत की कपास का बिस्तर उठने ही नहीं दे रहा था। दूर दूर तक लहलहाते सरसों के खेतों में जी भर दौड़ता रहा। क्या देखता हूं कि बीमार होरी ताऊ हाथों में अखबार रोल किए बंजर पड़े खेतों की मेड़ों पर कुलांचे भर रहा है। धनिया ताई उसे आवाजें देते देते अपना गला बैठाए जा रही है, ‘ रे होरी! इतना मत उछल! इस उम्र में टांग eagle_manबाजू तुड़वा लगा तो जुड़ेंगे नहीं। ‘ धनिया ताई के हाथ मक्की के आटे की रोटी बनाते हुए आटे से सने हैं। होरी ताया को जिंदगी में पहली बार यों खेतों की मेड़ों पर खुशी के मारे कुलांचे मारते देखा तो सारी पीड़ाएं जाती रहीं। मैंने धनिया ताई को रोकते हुए कहा, ‘ ताई उछलने दो न ताऊ को जी भर खेतों की मेड़ों पर। गिरने की कोई चिंता नहीं। अब गांव में पीएचसी तो खुल गया है। ‘

‘खुल तो गया है पर पता है बच्चू अस्पताल की कुर्सी पर डाक्टर नहीं जमराज बैठा होता है। भूतों का वास हो गया है उस अस्पताल में। ले दे कर एक चौकीदार है वहां। भैया अब वह चौकीदारी करे कि मरीजों को देखे? ‘ ताई मुझे गुस्साती रसोई को हो ली और में गांव के आंगनों को फलांगता जा पहुंचा होरी ताया के पास। होरी ताया था कि रूकने को नाम नहीं ले रहा था। लगा रहा था कि वह जैसे बावरा हो गया हो या फिर उस पर देवी आ गई हो। मैंने होरी ताया को रोकते पूछा, ‘ क्यों रे ताया! आज इतना बावरा क्यों हो गया है? क्या छप गया ऐसा अखबार में जो….. सरकार ने किसानों को सच्ची को सस्ती बिजली देने का फिर आश्वासन दे दिया? ‘

‘नहीं। ‘

‘तो क्या सरकार ने गांव के लिए नहर खुदवाने की घोशणा कर दी?’

‘नहीं रे बचुआ। इहां तो अब गांव के पनघटों का पानी भी उठा कर सरकार शहर ले गई।‘ होरी ताया था कि बस अपने पिछले सभी जन्मों के दुखों को भुलाए झूमा जा रहा था। मानसून से बेखबर।

‘तो क्या सरकार किसानो के प्रति सच्ची में गंभीर हो गई?’

‘उसे आंकड़ों के खेल से मुक्ति मिले तो तो औरों के बारे में सोचे।‘

‘तो क्या सरकार ने किसान और फसल के बीच से बिचौलियों को हटाने की घोशणा कर दी?’

‘नहीं रे! जब जिंदगी और मौत के बीच से बिचौलिए नहीं हट सकते तो किसान और फसल के बीच में से बिचौलिए भला कैसे हटेंगे?’

‘तो क्या अब किसानों के आत्महत्या करने के दिन लद गए?’ बड़ी देर तक नाचते रहने के बाद होरी ने फूली सांसों में कहा, ‘किसान कभी आत्महत्या नहीं करता, उसकी हत्या होती रही है। होती है तो होती रहे। अमर यहां है कौन रे?’

‘तो क्या सरकार ने फिर किसानों के कर्ज माफ कर दिए?’

‘सरकार किसानों के क्या कर्ज माफ करेगी! किसान आज तक सरकारों को माफ करते आए हैं।’ कह वे वैसे ही कभी इस हाथ में तो कभी उस हाथ में बदल बदल कर अखबार लहराते रहे।

‘तो ताऊ इस अखबार में ऐसा है क्या छपा है जो तू इतना पागल हो…..’

‘गिध्द खत्म होने के कगार पर हैं अपने देश से। अब मजा आएगा बचुआ जीने का। भगवान ने चाहा तो ये बचे खुचे गिध्द भी जल्दी ही खाक हो जाएंगे। भगवान ने हम किसानों की सुन ली रे बचुआ। देर से ही सही, हम जैसों की आवाज भगवान तक पहुंच ही जाती है। देखना अब किसीका भी गोबर शहर नहीं भागेगा। अब हर होरी सीना शान से चौड़ा कर जी सकेगा। ‘कह ताऊ की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। मैंने ताऊ से अखबार ले देखा तो उसमें सच्ची को खबर थी कि देस में गिध्द खत्म हो रहे हैं। मैं असमंजस में ! अखबार वाले ने कौन से गिध्दों की बात की होगी यार! देस से गिध्द खत्म कहां हो रहे हैं? यहां तो हर शाख पर गिध्द बैठा है दांत निपोरता हुआ। लगा अखबार वाले ने किसी दूर देस की खबर छाप दी है अखबार की खाली जगह भरने को।

ताऊ ने वहीं जमीन पर अखबार बिछाया और हंसते रोते कहने लगा, ‘ बचुआ, मुझे पता था कि एक दिन सतजुग जरूर आएगा। बुरों की उम्र लंबी नहीं होती। अब देखना होरियों के दिन एकबार फिर बहुरेंगे। फिर उत्तम खेती,अधम बपार, निखिद चाकरी करे गंवार हो जाएंगे। तू भी गांव आ जा शहर छोड़कर। देख तेरे पुरखों के खेतों में दिन में भी गीदड़ घूमते रहते हैं। मरते हुए ही सही रे होरी! खरे दिन देखने को तो मिलेंगे। ‘ होरी ताया की बुझी आंखों की चमक उस वक्त जवान होते सूरज की चमक को भी मात दे रही थी। ….अब मैं ताऊ को कैसे कहूं कि ये वे गिध्द नहीं जो तुम समझ बैठे हो। ये तो असली गिध्द हैं। इनकी खाल पहने गिध्द तो हर क्षण बढ़ते जा रहे हैं। ये सच मैं होरी से नहीं कह सकता। प्लीज आप कह दीजिए न!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here