हम सब मिल शीश झुकायेंगे, उस वीर धीर बलिदानी को,
उस वेद राह लासानी की गायेंगे अमर कहानी को।
अट्ठारह सौ सत्तावन में, तलवन की भूमि पावन कर दी,
नानक, शिवदेवी के घर में, मुन्शी ने आकर खुशी भर दी।
बुद्धि कुशाग्र सुन्दर बालक, मिल गया सेठ-सेठानी को॥ हम सब…
पैसे की कोई कमी न थी, इसलिये दोस्त बन गये खूब,
पढ लिख कर बैरिस्टर होकर, पी सुरा खा रहे गोश्त खूब।
हुई दया की जादू भरी दया, तज दिया ऐब औ गुमानी को॥ हम सब…
ऋषिवर ने कहा तुम हो हीरे, कालिख को छुडाओ हीरे से,
व्यसनों के गन्दे कीडे से भोगों के विषमय बीडे से।
सत्यार्थ-प्रकाश ग्रन्थ देकर सद्गुणी बनाया रवानी को॥ हम सब…
एक और वाकया जीवन में, रंग लाया भरी जवानी में,
लङखडाते पग थाली फेंकी, मदहोश सुरा दिवानी में।
अंखियां खोली पग थे झोली, किया नमन पतिव्रत रानी को॥ हम सब…
ऋषिवर से शिक्षा ले कर के, बन गये महात्मा मुंशीराम,
नास्तिक से आस्तिक हुए तभी, कर गये जगत में अमर नाम।
श्रध्दानन्द बन कर दिखा दिया, धन्य किया दयानन्द दानी को॥ हम सब…
मिटा अन्धकार हुआ उजियाला, गुरुकुल खुलवाये पढ्ने को,
पहले अपने खुद के लाला, दाखिल करवाये पढने को।
भारत की संस्कृति विमल रहे, तज दिया विदेशी वाणी को॥ हम सब…
की शुद्धि सभा की स्थापना, सपना पूरा कर हर्षाये,
मुस्लिम, ईसाई बने जो हिन्दू, वापस उनको घर लाये।
ऐसे महापुरुषों से सीखें, करें नमन महा बलिदानी को॥ हम सब…
जब अंत में अंग्रेजों ने कहा, अब एक कदम और बढे नहीं,
दागो गोली अफसरों अभी, यह वीर यहां से हटे नहीं।
निर्भयता का परिचय देकर, न्यौछावर किया जिन्दगानी को॥ हम सब…
– विमलेश बंसल ”आर्या”
आर्य समाज-सन्त नगर