स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक

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डॉ जीतेन्द्र प्रताप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार समय-समय पर कई कारणों से चर्चा में रहती ही है। कभी कोई कारण सकारात्मक होता है तो कभी कोई कारण नकारात्मक। हाल ही में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। उसे ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ नाम दिया गया है। स्टैचू ऑफ यूनिटी के निर्माण के पीछे सरकार यह तर्क देती रही है कि इस प्रकार के निर्माण से पूरे विश्व में सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारों और भारत को एकता के सूत्र में बांधने के उनके अथक प्रयासों को एक नई पहचान मिलेगी। अब विपक्ष को यह सब कहाँ सुहाने वाला था। हुआ यह कि सरकार के इस कदम की कड़ी से कड़ी आलोचना होने लगी। हालांकि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इस प्रकार के निर्माण की सराहना भी कर रहे हैं। मेरे विचार से किसी भी चीज का मूल्यांकन समग्र रूप में करना चाहिए। निस्संदेह इस प्रकार के निर्माण में अत्यधिक धन की जरूरत होती है। लेकिन यह भी सही है इससे हमारे युवाओं को वल्लभ भाई पटेल के बारे में जानने-समझने और उनके रास्ते पर चलने की प्रेरणा जरूर मिलेगी। हम सगर्व कह सकेंगे कि समूचे विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा हमारे देश भारत में स्थित है। यही प्रधानमंत्री जी की भी सोच होगी कि भारत देश के विस्मार्क कहे जाने वाले सरदार पटेल को वह सम्मान और पहचान मिले जिसके कि वे पात्र हैं। सम्भवतः ऐसा भी हो सकता है कि गांधी, नेहरू या कतिपय अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तुलना में सरदार पटेल को इतिहास में वह स्थान न मिल पाया हो जो उन्हें मिलना चाहिए था। उसी की भरपाई के लिए सरकार ने यह कदम उठाया हो। जो भी हो, लोग इस प्रकार के धन के अपव्यय के कारण इसकी आलोचना कर रहे हैं। इसी के समानांतर यह भी सच है कि इसके पहले भी बहुत सारे ऐसे निर्माण कार्य हुए हैं जिनमें अकूत धन सम्पति खर्च हुई होगी। लेकिन उसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इस प्रकार के निर्माण कार्यों से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, रोजगार का सृजन होता है और उस स्थान विशेष को एक नई पहचान भी मिलती है। आज इस प्रकरण ने कई बहुआयामी विमर्शों को जन्म दे दिया है। “भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है” विषयक अपने भाषण में बलिया के ददरी मेले में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने जापान का उदाहरण देते हुए कहा था कि हमें उन्नति के लिए दोनों हाथों से काम करना चाहिए। एक हाथ से जहाँ अपनी क्षुधापूर्ति करनी चाहिए वहीं दूसरे हाथ से अपने स्वाभिमान को निर्मित करने का कार्य भी करना चाहिए। केवल क्षुधापूर्ति तो पशुवत व्यवहार है। इस दृष्टिकोण से यदि हम इस पर विचार करेंगे तो हम आश्वस्त हो सकेंगे कि यह स्मारक वैश्विक पटल पर निश्चित रूप से भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक बनेगा। एक पल के लिए जरा विचार कीजिए कि अगर दुनिया के सात अजूबों में भारत का ताजमहल शामिल न होता तो क्या हम भारतीयों में एक प्रकार की हीन भावना नहीं बनती कि हमारे पूर्वजों ने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे हम वैश्विक स्तर पर सगर्व कह सकें! यह भी सही है कि पहले भी अकाल आदि प्राकृतिक विपदाएँ आती रही हैं, सुविधाओं का नितांत अभाव रहा है लेकिन उन सभी के बीच भी ऐसे निर्माण किये गए हैं जो आज हमारी राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े हुए हैं।

 

 

 

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  1. ?यह सुखद है कि आधुनिक भारत के शिल्पी सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण करके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक कर्तव्यनिष्ठ सशक्त राजनेता को अभूतपूर्व श्रद्धांजलि अर्पित करी है। इस प्रकार से उन्होंने करोड़ों नवयुवकों में राष्ट्र के प्रति सजग व समर्पित रहने का भी एक सशक्त संदेश दिया है। सरदार पटेल की 144 वी जयंती पर देश के लाखों नागरिकों ने विभिन्न नगरों में “रन फॉर यूनिटी” का उत्साहवर्धक प्रदर्शन करके देश की अखंडता व एकता के प्रति अपनी निष्ठा व दायित्व का बोध कराया। निसंदेह राष्ट्रप्रेम के प्रति देशवासियों को तरंगित करने का यह माध्यम सफल हुआ। इससे देशवासियों में सुदृढ़ व समर्थ भारत निर्माण के प्रति और अधिक संवेदनशीलता जागृत हुई है।

    ?इसपर भी हमको स्मरण रखना होगा कि आज देश की बर्बादी तक जंग जारी रहेगी और भारत तेरे टुकड़े होंगे की चाहना वाले हजारों युवा और तथाकथित बुद्धजीवी अभी सक्रिय है। निसंदेह अनेक ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्व सक्रिय है जो मुख्यतः युवा पीढ़ी में देश के प्रति नकारात्मक भाव भरने के लिये अनेक षड्यंत्रकारी उपक्रमों में लिप्त है। अभी तक ऐसे भारतविरोधी षडयंत्रकारियों को बंधक नही बनाया गया बल्कि इनके कुछ नेताओं को तो मंचो पर सम्मानित किया जाता है।

    ?क्या ऐसी विपरीत परिस्थिति में “रन फ़ॉर यूनिटी” के लिये संकल्पित नेताओं, वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं द्वारा राष्ट्रीय एकता और अखंडता का लक्ष्य पूर्ण हो पायेगा ? इसलिए आज देशद्रोही शक्तियों को नियंत्रित करना प्रशासन व शासन के साथ साथ हम सबका सामुहिक दायित्व है। अतः देशवासियों को सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन प्रसिद्धि पाने के स्थान पर धरातल पर कुछ ऐसा करना होगा , जिससे देश के टुकड़े टुकड़े करने की चाहत रखने वालों के गैंग पर कठोर न्यायायिक कार्यवाही करके उनको कारागार में डाला जा सके।

    ?ऐसे में “रन फॉर एन्टीनेशनल” का विराट आयोजन करके जन-जन को देशद्रोहियों और भारत विरोधियों का परिचय कराया जाय। इससे राष्ट्रवादी जनता को आस्तीन में पलने वाले सांपों का ज्ञान हो और फिर वे उनके प्रति सक्रिय भी हो सकें ? देश की संप्रभुता,एकता और अखंडता के प्रति लाखों-करोड़ों देशभक्त एकजुट हो जाए तो हमारी मातृभूमि के शत्रुओं का विनाश निश्चित ही होगा । हम सभी राष्ट्रवादियों की सरदार पटेल सहित समस्त धर्मबलिदानियों के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि “भारत अखंड, अजेय और अमर रहें।”

    ✍विनोद कुमार सर्वोदय
    राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक
    गाज़ियाबाद

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