केन्द्र की सख्ती और कालेधन पर लगाम

सुरेश हिन्दुस्थानी
अभी हाल ही में स्विस बैंक द्वारा जारी किए गए कालेधन के आंकड़ों से यह प्रमाणित हो गया है कि जब से केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार पदारुढ़ हुई है, तब से कालेधन में कमी आई है। हालांकि कालेधन के मामले को लेकर देश की विपक्षी राजनीति, केन्द्र सरकार पर निशाना साधने का अवसर कभी नहीं चूकती। लेकिन यह सत्य है कि जब कोई बुराई स्थापित हो जाए तो उसे समाप्त करने में समय लग सकता है। वर्तमान में विपक्ष की राजनीति को देखकर ऐसा ही लगता है कि वह बुराई को जीवित रखना चाहते हैं। कालेधन और भ्रष्टाचार जैसी बुराई को समाप्त करने के लिए जो अभियान नरेन्द्र मोदी की सरकार ने प्रारंभ किया है। उसे समाप्त करने के लिए पूरे देश का समर्थन मिलना चाहिए, लेकिन हमारे देश में इसका उलटा ही हो रहा है। विपक्ष तत्काल परिणाम चाह रहा है। विपक्षी राजनीतिक दलों में कांगे्रस सहित कई ने पहले सरकार चलाई है, उसे पता होना चाहिए कि कोई भी समस्या एक दिन में समाप्त नहीं हो सकती।
वर्तमान में केन्द्र में पदस्थ नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने कार्यकाल के प्रारंभ होते ही इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि उनकी सरकार आर्थिक स्तर पर की जा रही गड़बड़ियों पर सख्ती से लगाम लगाएंगे। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से इस बात का प्रमाण मिलता दिखाई देने लगा है। चाहे वह कालेधन पर लगाम लगाने के लिए एसआईटी के गठन का मामला हो या फिर नोटबंदी का मामला और अब हाल ही में लगाया गया जीएसटी। सभी की परिधि में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और कालेधन का पर लगाम लगाने का ही उपक्रम दिखाई देता है। यह बात सही है कि जब से देश में मोदी सरकार आई है, तब से सरकार की ओर से भ्रष्टाचार का कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया गया जो संदेह को जन्म देता हो, लेकिन हमारे देश में यह बात प्रचलित धारणा सी बन गई थी कि देश से भ्रष्टाचार का समाप्त होना असंभव सा है। इस बात को एक धारणा के रुप में स्वीकार किया जाने लगा था कि भ्रष्टाचार जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में हमने यह खुलेआम तरीके से देखा भी था कि केन्द्रीय मंत्री भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आने लगे, इतना ही नहीं उन्हें जेल भी जाना पड़ा। करोड़ों अरबों रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने लगे। नेताओं के नाम पर संपत्तियां पैर पसारने लगीं। भारतीय नेता और अधिकारियों द्वारा अनुचित तरीके कमाया हुआ धन विदेशी बैंकों में छिपाया जाने लगा। जिसे हम कालेधन के रुप में याद करते हैं। मनमोहन सिंह सरकार के समय भ्रष्टाचार करना नियति सा बन गया था। लेकिन देश में आज हालात बदले हुए दिखाई देते हैं। हम जानते हैं कि कांग्रेस शासन में किए जा रहे भ्रष्टाचार के कारण देश को अरबों का नुकसान हुआ, जो कम से कम वर्तमान सरकार के कार्यकाल में दिखाई नहीं दे रहा। यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन कांग्रेस के नेता यह बात मानने को तैयार ही नहीं हैं। वास्तव में कांग्रेस वर्तमान में रचनात्मक भूमिका का निर्वाह करती दिखाई नहीं दे रही। वह तो केवल आपने आपको विरोध करने की भूमिका तक ही सीमित रख कर अपनी राजनीति कर रही है। कांग्रेस को चाहिए कि वह केवल अपने सिद्धांतों की ही राजनीति करे, नहीं तो विरोध करना ही कांग्रेस का स्वभाव बन जाएगा और फिर कांग्रेस जिस सिद्धांत की बात करती है, वह एक दिन हवा हो जाएंगे।
वर्तमान में केन्द्र सरकार की कार्यशैली को देखकर ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने वाली असंभव लगने वाली धारणा को संभव बना दिया है। वास्तव में दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, लेकिन अच्छे काम को करने के लिए जैसी कठोरता की आवश्यकता होती है, वैसी ही कठोरता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिखाई है। यह स्पष्ट धारणा है कि असंभव लगने वाले काम की जब प्रक्रिया प्रारंभ होती है, तब शुरु में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जैसे ही दिन निकलते जाते हैं, वैसे ही उसके लाभ मिलना शुरु होजाते हैं। राजनीतिक विरोधी कितना भी विरोध करके कितना भी यह जताने का उपक्रम करें कि मोदी सरकार जनता की विरोधी है, लेकिन जनता भी इस सत्य को अच्छे से जान चुकी है कि सरकार का कदम केवल कालेधन और भ्रष्टाचार को रोकने वाला कदम है। मात्र इसी कारण विदेशी बैंकों में जमा भारत का कालाधन लगातार कम होता जा रहा है। मोदी सरकार से पूर्व विदेशी बैंकों में जमा होने वाले धन की बेतहासा वृद्धि हो रही है, लेकिन अब वृद्धि तो दूर की बात उसमें कमी आती जा रही है। स्विस बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत 2015 में 75वे स्थान पर था, वर्तमान में वह 88वे स्थान पर आ गया है। वहीं स्विस बैंक में भारत का कालाधन अब केवल 0.04 प्रतिशत ही है। अब सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर को लागू करके कालेधन पर अंकुश लगाने का एक और कदम आगे बढ़ाया है। जो निश्चित ही इस भ्रष्टाचार और कालेधन को समाप्त करने में एक अभूतपूर्व कदम ही सिद्ध होगा। यह बात सही है कि कोई भी काम केवल सरकार के सहारे ही संभव नहीं है। इसको सफल बनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और आम जनता को सरकार का कदम से कदम मिलाकर समर्थन करना चाहिए। हम यह भी अच्छी तरह से जानते ही हैं कि सरकार की कोई योजना असफल तभी होती है, जब प्रशासन सक्रियता से काम नहीं करता। पहले की सरकारों के समय योजनाएं तो बन जाती थी, लेकिन उसकी जनता को जानकारी नहीं होती थी, अब मोदी सरकार ने योजनाओं को जो रुप प्रस्तुत किया है, उसकी जानकारी पूरे देश को हो जाती है, योजना की सफलता का एक रुप यह भी है। विदेशी बैंकों में कालेधन का कम होना सरकार की कठोर नीतियों का ही परिणाम है।
भ्रष्टाचार और कालेधन को समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम की पूरा देश प्रशंसा कर रहा है। पहले नोटबंदी और अब जीएसटी के बाद सरकार के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। नोटबंदी के बाद बहुत सा कालाधन पहले ही खत्म हो चुका है, अब जीएसटी के लागू होने से देश में कर चोरी के रुप में एकत्रित किए जाने वाले कालेधन भी रोक लगेगी।

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