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बस करो बस की सियासत को । - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बस करो बस की सियासत को,और न बढ़ाओ इस आफत को।मजदूर पहले से ही परेशान है,और न कम करो उसकी हिम्मत को।। बेबस था पहले ही बेचारा मजदूर,और न करो तुम उसको मजबूर।पहले तो उसकी रोजी रोटी छीनी,अब वह पैदल चलने पर मजबूर।। मजदूर वाकिफ था तुम्हारे कारनामों से,तुम मशगूल…