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चश्म-ए-बद्दूर बनाम बेलगाम घोड़े - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रामकृष्ण फ़ुरसतनामा वह ज़माना फ़िल्मी दुनिया में राज कपूर के चरमोत्कर्ष का था, और के साथ ही शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी भी अपनी लोकप्रियता तब आसमान छू रहे थे. उन दिनों निर्मित होने वाली कम से कम पचास प्रतिशत फ़िल्में ऐसी ही होती थीं जिनमें शंकर-जयकिशन का सगीत हुआ करता…