स्टंट बाइकर्स : जानलेवा शौक और मौत से यारी  

संजय सक्सेना

स्टंट बाइकर्स, यह नाम कुछ वर्ष पहले तक गणतंत्र दिवस पर परेड के दौरान स्टंट करते सेना के जवानों, रूपहले पर्दे और सर्कस की दुनिया तक ही सीमित था, लेकिन अब यह महानगरों से लेकर छोटे -छोटे शहरों में युवाओं का शगल बन गया है। कभी देर रात्रि तो कभी दिन के सन्नाटे में सड़क पर मंहगी बाइक से फर्राटा भरते और करतब दिखाते आपको युवाओ ंका कोई गु्रप मिल जाये तो समझ लीजियेगा इन्होंने अपनी जिंदगी का सौदा कर लिया है। जोर-जोर से चीखते चिल्लाते यह युवा कभी-कभी अपनी गर्लफे्रड को इमप्रेस करने के लिये भी ऐसा जोखिम मोल लेते हैं। इसका परिणाम हमेशा भले ही दुखद न होता हो लेकिन ज्यादातर मामलों में स्टंट बाइकर्स कभी अपनी तो कभी दूसरी राहगीर की जान के दुश्मन बन जाते हैं। दिल्ली-मुम्बई से लेकर तमाम शहरों में मौत का यह तांडव लम्बे समय से चल रहा है। इस पर नियंत्रण नहीं लगा पाने के लिये कभी पुलिस को तो कभी कानून को कोसा जाता है। मगर, इस जुनून को कभी भी सामाजिक समस्या और उससे बढ़कर पारिवारिक लापरवाही के रूप में कभी नहीं देखा गया। जब कभी हादसा होता है तो थोड़ी हाय-तौबा मचती है। ऐसे युवाओं पर सख्ती की भी बात होती है,लेकिन अंत में मामला ठंडा पड़ जाता है।
ऐसा नहीं है कि स्टंट बाइकर्स के कारनामों के बारे में उनके घर वालों को पता नहीं होता है,जिस उम्र में बच्चों को साइकिल देना चाहिए उस उम्र में बच्चों के हाथ में बाइक माॅ-बाप ही थमाते है। सिर्फ बाइक ही नहीं उनकी पंसद का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। स्टंट बाइकर्स के स्टेटस की बात की जाये तो अपवाद को छोड़ दे तो अधिकांश मामलों में यही देखने को मिलता है कि स्टंट बाइकर्स का शौक वह लड़के ज्यादा पालते हैं जो पढ़ाई-लिखाई में जीरो और हीरोपंथी में अव्वल रहते हैं। इनका ताल्लुक ऐसे घरानों से होता है जो नये-नये धनवान बने होते हैं। फिर बिना मेहनत के और कभी-कभी अनाप-शनाप तरीके से पैसा बरसने लगता है, तो ऐसे धनवान अपनी दौलत का प्रदर्शन करने के चक्कर में अपने नाबालिग बच्चों को भी बाइक सौंप कर उसे मौत के मुंह में ढकेल देते हैं। खासकर किसी उत्सव के मौके पर इन युवाओं में स्टंट की खुमारी सिर जढ़कर बोलने लगती है, जैसा की हाल ही लखनऊ में देखने को मिला जब ईद के मुबारक मौके पर स्टंट करते एक युवा और उसके साथ बैठी दो लड़किया मौत के मुंह में समा गई,जबकि दूसरी मोटरसाइकिल पर उसके साथ स्टंट कर रहा एक अन्य युवक और उसके साथ बैठी युवती बुरी तरह से घायल हो आईं।
लखनऊ के पाॅश इलाके गोमतीनगर के जनेश्वर मिश्र पार्क के पास फ्लाईओवर पर 26 जून की दोपहर को यह हादसा हुआ। स्टंट और रैश ड्राइविंग के दौरान एक नाबालिग बाइक पर नियंत्रण खो बैठा,जिससें उसकी गाड़ी साथ ही स्टंट कर रहे दोस्त सहजादे आलम की गाड़ी सेे टक्रा कई। तालिब अपनी बाइक पर नियंत्रण खो बैठा। इसके बाद तेज रफ्तार बाइक फ्लाईओवर की दीवार से जा टकराई। हादसे में बाइक चला रहे मो. तालिब (14) के साथ ही पीछे बैठी मुस्कान चैहान (14) और मोनी (22) की मौत हो गई। जबकि सहजादे आलम और उसके साथ बैठी सोलह वर्षीय सपना को गंभीर चोटें आई। बाइक की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि ओवरब्रिज की दीवार से टकराने के बाद चारों हवा में उछलकर सड़क पर गिरे थे। अलीगंज की चन्द्रलोक कॉलोनी निवासी अहमद सफीक के बेटे तालिब ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। तालिब पिता से ईदी लेने के बाद घर पर ही खड़ी परिचित की पल्सर लेकर चुपके से निकल गया था।
सवाल यही है कि इस तरह के हादसों के लिये क्या केवल ट्रैफिक पुलिस ही जिम्मेदारःहै। बिना हेलमेट, स्टंट करना और ईयर फोन लगाकर स्कूटर-बाइक चलाना… युवाओं में ये खतरनाक प्रवृत्तियां अब जानलेवा स्तर तक पहुंच चुकी हैं। इसके लिए जितनी ट्रैफिक पुलिस जिम्मेदार है उससे अधिक ऐसे बच्चों के माॅ-बाप और परिवार वाले कसूरवार हैं। हाॅ, सच यह भी है कि  ट्रैफिक रूल्स का पालन करवाने में यातायात पुलिस हमेशा से पूरी तरह से नाकाम रही है। आश्चर्य तब होता है जब 1090 और जनेश्वर मिश्र पार्क के आसपास डायल-100 गाड़ियों की मौजूदगी में रोजाना स्टंट होते हैं। शहर में स्पीडोमीटर कहीं नजर ही नहीं आते जो तेज रफ्तार गाड़ियों की रफ्तार नाप कर चालान करवा सकें।
यह पहला हादसा नहीं था। राजधानी में बाइक स्ंटट के चलते होने वाली मौत पर गंभीरता से गौर करें तो पिछले चार सालों के दौरान डढ़े दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके है। इसमें तीन-चार लोगों को बैठाकर बाइक दौड़ाने वाले और मौते के मुंह में जाने वाले युवा भी शामिल हैं। तीन वर्ष पूर्व स्टंटबाज ने फन सिनेमा के पास सड़क पार कर रहे एक बुजुर्ग को टक्कर मार दी थी। हादसे में बुजुर्ग की मौके पर ही मौत हो गई थी। एक अन्य घटना में जनेश्वर मिश्र पार्क के पास फ्लाईओवर पर स्टंटबाजों की कार से एक पूर्व मंत्री के बेटे की पुल की रेलिंग की चपेट में आकर मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष जनेश्वर मिश्र पार्क के पास स्टंटबाजों ने एक दारोगा के पैर पर बाइक चढ़ा दी थी, जिससे उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था।11 जून को आशियाना में केमिकल व्यापारी ओपी यादव के यहां बाइकर्स ने हमला बोला। पत्नी व बेटे को पीटा और भाग गए। ओपी यादव ने बाइकर्स को शराब पीने से मना किया था। 17 फरवरी को बाइकर्स ने वृंदावन कॉलोनी के सेक्टर- छह में छेड़खानी व लूटपाट की। सीसीटीवी में कैद हुए, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की जिससे ऐसे लोंगो के हौसले बढ़ते गये।
पुलिस किसी हादसे के कुछ दिन तक सतर्क रहने के बाद फिर लापरवाह हो जाती है। अब तो लखनऊ के मरीन ड्राइव से शुरू हुआ स्टंटबाजों और बाइकर्स का खेल पूरे गोमतीनगर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुका है। करतब के दौरान बाइकर्स अपने साथ दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं। इन स्टंटबाजों को रोकने के लिए कुछ सामाजिक संगठनों ने एंटी रोमियो स्क्वायड की तरह पुलिस का एक अलग से दस्ता बनाने की मांग की थी,लेकिन इस पर कुछ हो नहीं पाया। अब उम्मीद है कि ऐसे स्टंट बाजों पर लगाम लगेगी। क्योंकि सीएम योगी ने भी सख्त रूख अख्तियार कर लिया है। सीएम की सख्ती के बाद हरकत में आई पुलिस कह रही है कि  अब ऐसे स्ंटटबाजों के खिलाफ केवल एमबी एक्ट में ही नहीं बल्कि आईपीसी की धारा मेे कार्रवाई की जाएगी। एसपी ट्रैफिक रवि शंकर निम ने अनुसार स्ंटट करने वालों के खिलाफ एमवी एक्ट में कार्रवाई की जाती हैं। एमबी एक्ट की धारा 194(1) और 15 व 178 के तहत चालान काटा जाता है, इस धारा में ज्यादा से ज्यादा दो हजार रूपये वसूले जाते है। एमबी एक्ट में कड़ी कार्रवाई का र्कोअ प्रावधान नहीं है,लेकिन अब आईपीसी की धारा 279 में भी पुलिस  बाइक स्ंटट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। जिसमें जुर्माने के साथ सजा का प्रावधान है। तीन बार पकड़े जाने पर स्ंटटबाज के ड्राइविंग लाइसेंस को कैंसिल कराने के लिए पुलिस परिवहन विभाग को पत्र लिखेगी।

 

    योगी का सख्त रूख

 

सड़कों पर स्ंटटर्स व बाइकर्स गैंग द्वारा किये जानें वाले उत्पात पर सीएम योगी ने सख्त तेवर दिखाए उन्होंने पुलिस को ऐसे सभी बाइकर्स के खिलाफ सख्त कार्रर्वाई निर्देश दिए है। सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश के सभी एक्सप्रसे वे पर रात्रि गश्त सुनिश्ति करने के भी निर्देश दिये साथ ही ईयरफोन लगाकर ड्राईविंग करने वालों के खिलाफ सख्त से बरतने को कहा है। सीएम ने हाइवे पर इंटरसेप्टर के जरिए हाई स्पीड पर नजर रखने और ओवार स्पीड वालों वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिया। उन्होंने कहा की सड़को पर ट्रैफिक को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए कार्य योजना बनाकर समन्वित ढंग से लागू करना होगा। उन्होंने कहा जीवन अनमोल है। ऐसे में रोड़ एक्सीडेंट में जनहानि न हों इसकी कोशिश की जानी चाहिए।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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