दूसरे को समझाने में सफल,अपने आप में असफल

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पत्थर में भगवान है,यह समझने में धर्म सफल रहा
पर इंसान में इंसान हे,वह समझने में धर्म असफल रहा
दूसरो को समझाने में  इंसान सफल रहा
अपने को समझाने मे इंसान असफल रहा
इंसान ने  भलाई की भला रहा , बुराई की  बुरा रहा
इस बात  को समझ कर भी, इंसान असफल रहा
बाबा इस देश के भक्तो को बहकाने में सफल रहा
पर अपने आप को समझाने  में वह असफल रहा
सतयुग में कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी रही
कलयुग में  कड़ी मेहनत असफलता की कुंजी रही
आर के रस्तोगी
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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

1 COMMENT

  1. जब भी अवसर मिलता है.
    आपकी व्यंग्यात्मक कविता ढूँढता हूँ.
    कतिपय पंक्तियों में आप बहुत कुछ कह देते हैं.
    आप का परिचय भी आज जाना.
    वैसे तो, आप की कविता भी धीरे धीरे आप का परिचय करा ही रही है.
    बहुत बहुत धन्यवाद.

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