हम हाल ही मे केरल यात्रा पर गये थे।वहाँ अक्सर रैस्टोरैंट मे क्या चाहिये समझाने मे दिक्कत होती थी टूटी फूटी हिन्दी और टूटी फूटी इंगलिश मे एक एक शब्द अलग अलग करके समझाना पड़ता था।चाय और कौफी मे हम चीनी कम पीते हैं, दूध भी कम डालते हैं । एक जगह हमने कहा टी, सैपरेट मिल्क, सैपरेट शुगर थोड़ी देर बाद वही अधिक चीनी और अधिक दूध वाली चाय आ गई और साथ मे एक कप दूध और कटोरी मे अलग से चीनी भी आ गई।
अगली बार और दिमाग़ लगाया कि उन्हे कैसे अपनी बात समझायें, मेरी दीदी ने कहा ब्लैक कौफी, जब ब्लैक कौफी आ गई तब मिल्क मांगा, उसके बाद कहा शुगर चाहिये। कुछ क्षण हमारे चेहरों को अजीब तरह देख कर वेटर दूध और चीनी भी ले आया।हम अपने मक़सद मे क़मयाब हुए।मेरी बहन डायबैटिक हैं और वो अपनी शुगर फ्री की डिबिया ले जाना भूल गईं थी, उन्होने वेटर से पूछा ‘’डू यू हैव शुगर फ्री ? तो वेटर ने जवाब दिया नो मैम शुगर इज़, फ्री नो सैपरेट चार्ज!
जानकारी देने के लियें और चुटकुला पसन्द करने के लियें धन्यवाद, वैसे ये आप ही बीती थी।
चुटकुला मजेदार है,पर इसके साथ एक बात अलग से बताना चाहता हूँ.डायबैटिक लोगों के लिए एक सलाह. आम शुगर फ्री का कम से कम इस्तेमाल कीजिये.इससे याददास्त खोने कि शिकायत आम है.इसके अतिरिक्त इससे अन्य शारीरिक गड़बड़ियाँ कोने कि संभावना रहती है.स्ताविया नामक पौधे के सूखे पतों को मीठास के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.