सुनो ए सखी

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सुनो ए सखी,
चलो रास रचाए हम!
थोड़ा रंग जमाओ तुम,
थोड़ा रंग जमाये हम!
सुनो ए सखी,
चलो रास रचाए हम!

ये चाँदनी रात है,
दूधिया ये नज़ारा है!
तुम जल्दी आ जाओ,
कहीं बीत न जाये क्षण!!
सुनो ए सखी,
चलो रास रचाए हम!

ये कल-कल करता शोर,
नदी का ये किनारा है!
कहीं हो जाए न भोर,
अब बोले मन चकोर!
सुनो ए सखी,
चलो रास रचाए हम!

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