सर्जिकल आपरेशन: वाह भारतीय सेना! वाह नमो !!

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अंततः भारतीय सेना ने लक्ष्मण रेखा अर्थात एलओसी को पार करके पीओके में प्रवेश कर ही लिया! भारतीय सेना द्वारा 28 सितम्बर की रात्रि एलओसी को पार करके पीओके में तीन किमी तक अन्दर घुसना और चार स्थानों पर हमला करके 38 आतंकियों को मार गिराने का पराक्रम कर दिखाया है. जो परिस्थितियां बन रही थी उसमे यह स्वाभाविक ही था. भारतीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव पूर्व जो वादे किये थे व जिस प्रकार की भाषा बोली थी उस अनुरूप उनका आचरण पिछले दो वर्षों के कार्यकाल में भले ही जनता को न दिखा हो किन्तु वे सधी गति से बढ़ रहे थे. नरेंद्र मोदी सेना के साथ सतत व जमीनी सम्पर्क बनाये हुए थे. भारतीय जनता तब तो बड़ी ही उहापोह की स्थिति में आ गई थी जब नरेंद्र मोदी अफगानिस्तान से लौटते समय अचानक बिना बुलाये नवाज शरीफ के जन्मदिन पर पाकिस्तान चले गए थे और साड़ी-शाल की कूटनीति कर आये थे! किन्तु ये सब एक ऐसे देश के प्रधानमन्त्री के कूटनैतिक अभियान का अंश मात्र था जिसमे मोदी देश के साथ-साथ दुनिया को साधने और अपने शांतिप्रिय किन्तु सख्त व सक्षम राष्ट्र होनें की छवि को बनाये रखना चाहते थे. यह सब कुछ उचित ही स्वाभाविक भी था मोदी बेहद सधे और सटीक चल रहे थे. इसी मध्य 18 सितम्बर को उड़ी में पाकिस्तानी सेना समर्थित जैश – ए – मोहम्मद के आतंकियों ने भारतीय सेना के 18 जवानों को मार गिराया. उड़ी घटना के तुरंत बाद भारतीय प्रधानमन्त्री ने अपने पहले सार्वजनिक भाषण में स्पष्ट हुंकार भरी थी कि उड़ी में शहीद भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा; और ऐसा हुआ भी; 18 के बदले 38 आतंकियों को ढेर करके भारतीय सेना ने समूचे भारत का दिल जीत लिया और बधाई व अभिनन्दन की पात्र बन गई. यह अभियान सरल नहीं था, बेहद जोखिम पूर्ण था व सुई बराबर की चूक से भी बेतरह विफल हो सकता था. यह भी हो सकता था कि दुश्मन देश में घिरे एक सैकड़ा से अधिक  भारतीय कमांडो स्वयं ही घिर कर हताहत हो जाते. भारतीय गुप्तचरों की बेहद सटीक सूचनाएं व भारतीय सेना का बेहद सधा हुआ सर्जिकल आपरेशन अपनी तैयारियों के अनुरूप ही सफल भी रहा. उसने चार घंटो तक दुश्मन की विवादित भूमि पर रहकर चार भिन्न स्थानों पर हमले किये और चार लांचिंग पैड्स को नेस्तनाबूद कर के 38 आतंकियों को मार गिराया. सभी के सभी एक सैकड़ा से अधिक कमांडो सुरक्षित व सटीक समय सीमा में अपनें खेमों में लौट आये हैं.
उड़ी हमले के पूर्व भी भारतीय सेना, भारतीय आम जनता व भारतीय संसाधनों पर कई बार आतंकियों के हमले हुए और भारत शांत और विवश बैठा रहा था. भारतीय जनमानस में लाचारी का भाव व बेबसी का भाव जागृत हो रहा था. गत लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान विरोधी नारों और भाषणों को लेकर और विशेषतः 56 इंच के सीनें वाली भाषा को लेकर वर्तमान सरकार पर तंज कसे जानें लगे थे. इन सब बातों को और उससे उपजे निराशाजनक वातावरण को नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना के एक आपरेशन से ही ध्वस्त कर दिया. पिछले सप्ताह ही भारतीय रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने भारत के विरुद्ध परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी थी और कहा था कि पाकिस्तान ने टैक्टिकल परमाणु हथियार सजाकर रखने के लिए नहीं बनाये हैं, अब वही पाकी रक्षा मंत्री मूंह बंद किये हैरान दिखाई दे रहें हैं. भारत ने पाकी रक्षा मंत्री की बात का जवाब मैदान में जाकर पराक्रम से दिया और बता दिया है कि भारत ने भी अपनी सेनायें बैरकों में बैठानें के लिए नहीं अपितु मैदान में उतारनें और विजयी अभियान करनें के लिए बनाई हैं.
अब इस सर्जिकल आपरेशन के बाद निश्चित ही परिस्थितियाँ तेजी से परिवर्तित होंगी. अन्तराष्ट्रीय समुदाय में भारत ने अपने साफ्ट स्टेट होनें की छवि को एक नया आयाम दे दिया है और यह बता दिया है कि उसके साफ्ट स्टेट होनें की सीमा क्या है. अब भारत में व पाकिस्तान में तनाव निश्चित ही बढ़ेगा और संबंधो की एक नई परिभाषा तय होगी.
भारत ने स्वयं ही विश्व के बीस से अधिक देशों के राजदूतों को अपने सर्जिकल आपरेशन की जानकारी विनम्रता व दृढ़ता पूर्वक दी और विश्व समुदाय को अपने साथ खड़ा करने का गंभीर प्रयास प्रारम्भ कर दिया है. अधिकांश दक्षिणी एशियाई देश भारत के समर्थ में दिखाई भी पड़ने लगें हैं, बांग्लादेश ने स्पष्ट भारत समर्थन का रूख अख्तियार कर लिया है. यद्दपि अमेरिका पाकिस्तान को पूर्व में आतंकवाद को शरण न देनें व बढ़ावा न देनें की चेतावनी दे चुका है उधर चीन भी कह चुका है कि वह भारत-पाकिस्तान संबंधों में दखल नहीं देगा तथापि इस आपरेशन सर्जिकल पर चीन की प्रतिक्रया की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी. भारत ने बेहद विनम्रता से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सर्जिकल आपरेशन एक सीमित सैन्य कार्यवाही थी जो अब समाप्त हो गई है, किन्तु दृढ़ता पूर्वक यह भी कहा है कि यदि इस अभियान की प्रतिक्रिया होती है तो उस स्थिति के लिए भी भारत पुर्णतः तैयार है और हर स्थिति में ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा.
आतंकवादियों पर इस सर्जिकल आपरेशन से दीर्घकालीन परिणाम दिखाई देगा उन्हें यह स्पष्ट सन्देश मिल गया है कि वे अब सुरक्षित नहीं हैं चाहे वे पीओके में बैठें हों या वे पाकिस्तानी के आँचल में बैठे हों. भारत की इस कार्यवाही से यह भी स्पष्ट सन्देश गया है कि पाक समर्थित आतंकियों पर यह हमला एक लम्बी व सुविचारित रणनीति के तहत किया गया है और ऐसा आगे भी होता रहेगा. इधर भारतीय जनता, भारतीय सेना व समूचे विपक्ष ने भी मोदी सरकार के इस कदम को अपना एकतरफा समर्थन दिया है जबकि उधर पाकिस्तान में स्थितियां ठीक इसके विपरीत हैं. यह पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ का दुर्भाग्य ही है कि उन्हें उनके पिछले कार्यकाल में कारगिल झेलना पड़ा और अबके कार्यकाल में सर्जिकल आपरेशन के दौर का यह प्रारम्भिक अंश. एक ऐसे देश के प्रधानमन्त्री होने के नाते जहाँ सेना व शासक में बड़े ही जटिल और चुनौतीपूर्ण सम्बन्ध हों, दोनों में प्रतिस्पर्धा हो व दूर-दूर तक समन्वय न हो यह स्थिति बड़ी कठिन होती है. इस प्रकार के तथ्य भारत के समर्थन में जाते हैं. नवाज शरीफ को पाकिस्तान में प्रो मोदी प्रधानमन्त्री माना जाता है और उन्हें उतनी विश्वसनीयता हासिल नहीं है. मोदी फोकस्ड शरीफ को अब कठिन स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
भारत पाक सम्बन्ध अब एक नए दौर में प्रवेश कर सकते हैं जिसमे जल संधि तोड़ने, समझौता एक्सप्रेस के रद्द करने, परस्पर व्यापार रोकने व पाक से मोस्ट फेवरिट नेशन का दर्जा वापिस लिए जाने जैसी कार्वाहियां हो सकती हैं.
जो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली, भाषा व मुद्रा को स्पष्ट समझते हैं वे लोग इस अभियान की थाह तभी ले चुके थे जब नरेंद्र मोदी बेहद विनम्रता पूर्वक अफगानिस्तान से लौटते समय नवाज शरीफ के दरवाजे पर बिन बुलाये पहुँच गए थे. खैर अब जो भी हो इतना तय है कि भारत-पाक सम्बन्ध भारत में एक पूर्ण बहुमत धारी सरकार के दृढ़ व दूरगामी, दूरंदेशी प्रधानमन्त्री के स्पष्ट प्रभाव में रहेंगे. इधर देश भी एक पूर्ण बहुमतधारी प्रधानमन्त्री वाली दिल्ली का आनंद लेनें के मूड में आ गया है!!

3 COMMENTS

  1. कुछ कुंठित मानसिकता के चमन लोगों को फुंके रहने की आदत होती है। वर्तमान का आनन्द लेना इन लोगों के नसीब में ही नहीं होता।


    सादर,

    • आपके विचार से भारतीय सेना के सूत्र झूठ बोल रहे हैं.यह सेना का पहला सर्जिकल आपरेशन था.भारत के प्रतिरक्षा मंत्री का तो यह भी कहना है कि भारतीय सेना को अभी तक अपनी ताकत का अंदाज ही नहीं था.उनके कथन से तो यह जाहिर होता है कि सेना के बदले उनके पूर्वजों ने १९६५ और १९७१ में पाकिस्तान के विरुद्ध विजय प्राप्त की थी.

  2. भारतीय सेना के जरिये तो यह खबर आई है कि पाकिस्तान के विरुद्ध यह पहला सर्जिकल आपरेशन नहीं था.सेना इसके पहले भी ऐसा कर चुकी है.

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