सू्र्यदेव का स्वागत

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sunसू्र्यदेव का स्वागत

मै बाँहें फैला कर करता हूँ,

आग़ोश मे लेलूँ सूरज को,

महसूस कभी ये करता हूँ।

 

उदित भास्कर की किरणे,

जब मेरे तन पर पड़ती हैं,

स्फूर्ति सी तन मे आती है,

जब सूर्य नमन मै करता हूँ।

 

स्वर्णिम आरुषि मे नहाकर मै,

भानु को जल-अर्घ भी देता हूँ,

फिर प्रणायाम कर मै अपना,

मन शीतल व शाँत करता हूँ।

 

 

इस अद्भुत आधात्मिक पल मे

कुछ ऐसी अनुभूति होती है,

जो नहीं मिला मंदिर मे कभी,

उसके दर्शन मै करता हूँ ।

 

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बीनू भटनागर
मनोविज्ञान में एमए की डिग्री हासिल करनेवाली व हिन्दी में रुचि रखने वाली बीनू जी ने रचनात्मक लेखन जीवन में बहुत देर से आरंभ किया, 52 वर्ष की उम्र के बाद कुछ पत्रिकाओं मे जैसे सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी और माधुरी सहित कुछ ग़ैर व्यवसायी पत्रिकाओं मे कई कवितायें और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। लेखों के विषय सामाजिक, सांसकृतिक, मनोवैज्ञानिक, सामयिक, साहित्यिक धार्मिक, अंधविश्वास और आध्यात्मिकता से जुडे हैं।

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