स्वाभिमान से जीने के लिए ‘युवा स्वाभिमान योजना’

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मनोज कुमार

मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के युवाओं को स्वाभिमान के साथ जिंदगी जीने के लिए ‘युवा स्वाभिमान योजना’ का श्रीगणेश किया जा चुका है. इस योजना में युवाओं के कौशल का ना केवल उपयोग किया जाएगा बल्कि उन्हें स्वयं की मेहनत से धन अर्जित करने का अवसर प्रदान किया जाएगा. युवाओं को जो कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा, वह अल्पकालिक ना होकर दीर्घकालिक होगा जिससे उनके आय के स्रोत नियमित बने रहें. समय के साथ उनमें दक्षता आएगी और दक्षता से उनके भीतर आत्मविश्वास का संचार होगा जिससे वे स्वाभिमान के साथ जिंदगी जी सकेंगे. प्रथमत: अनुमानित लक्ष्य में प्रदेश के लगभग साढ़े 6 लाख युवाओं को ‘युवा स्वाभिमान योजना’ से जोड़ा जाएगा. 21 से 30 वर्ष के बेरोजगार युवाओं को साल भर में 100 दिनों का रोजगार दिए जाने का लक्ष्य है. युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे के अनेक उपक्रम पूर्व में हुए हैं लेकिन जमीनी हकीकत को जांचे बिना लागू योजनाओं से युवाओं की दशा में कोई सुधार नहीं हो पाया था. प्रदेश की वर्तमान नाथ सरकार ने इस बारे में एक डेटा बैंक तैयार कर पता लगाया कि 17 प्रतिशत युवाओं को रोजगार की जरूरत है. इस डेटा का विशले षण करने के बाद मध्यप्रदेश में ‘युवा स्वाभिमान योजना’ का आरंभ किया गया है. मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में प्रत्येक युवा को प्रतिदिन 134 रुपये के मानदेय पर अस्थायी रोजगार प्रदान किए जाने की योजना है. लेकिन एक वर्ष में प्रत्येक युवा को 100 दिनों का रोजगार मिले, इसका लक्ष्य निर्धारित है. ‘युवा स्वाभिमान योजना’ के अंतर्गत नगरीय निकाय में युवाओं को ऑनलाईन पंजीयन कराना होगा. पंजीयन के बाद युवाओं को दो विकल्प दिए जाएंगे जिसमें पहला यह कि नगरीय निकायों के सम्पत्तिकर, जलकर, सम्पत्ति सर्वे एवं निर्माण कार्य में श्रमिक के रूप में रोजगार तथा दूसरा विकल्प कौशल प्रशिक्षण के लिए रूचि एवं योग्यता के आधार पर प्रशिक्षण हेतु स्वयं का चयन करना. सरकार ने तय किया है कि कार्य आरंभ करने के पूर्व तयशुदा 100 दिनों के रोजगार के पहले दस दिन प्रशिक्षण के होंगे तथा शेष 90 दिन में उन्हें कार्य करना होगा. युवाओं को प्रशिक्षण अवधि का भी 134 रुपये प्रतिदिन के मान से भुगतान किए जाने का प्रावधान है. ‘युवा स्वाभिमान योजना’  के अंतर्गत युवाओं को उनके मानदेय का भुगतान उनके बैंक खाते में किया जाएगा. नगरीय निकाय को इस कार्य के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है.‘युवा स्वाभिमान योजना’ के सफल संचालन के लिए राज्य सरकार ने बकायदा बजट का आंकलन कर उसका प्रावधान किया है. जैसा कि प्रदेश के साढ़े 6 लाख युवाओं को प्रतिदिन 134 रुपये के मान से भुगतान किए जाने के लिए प्रत्येक 100 दिनों के लिए 871 करोड़ रुपयों की आवश्यकता होगी. साथ में योजना के संचालन हेतु प्रशासकीय खर्च 5 प्रतिशत अर्थात 44 करोड़ की जरूरत होगी. कुल 915 करोड़ रुपयों की आवश्यकता होगी जिसके लिए 90 प्रतिशत बजट राज्य शासन देगा तथा शेष 10 प्रतिशत संबंधित नगरीय निकाय अपनी स्रोतों से वहन करेंगे. ‘युवा स्वाभिमान योजना’ के सफल क्रियान्वयन के लिए गैर सरकारी संगठनों को चिंहित कर उनकी मदद भी ली जाएगी. आउटसोर्सिग कर जहां, जैसी जरूरत होगी, कार्य सम्पादन के लिए स्टॉफ भी रखा जाएगा. ‘युवा स्वाभिमान योजना’ को अंजाम तक पहुंचाने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय हाईपावर कमेटी का गठन किया गया है. इस बजट प्रावधान से सरकार की दृष्टि और उसके पक्के इरादे का भान होता है क्योंकि योजना बनाना और बात है लेकिन योजना को कार्यरूप में परिणीत करने के लिए बजट प्रावधान होना और बात है. ‘युवा स्वाभिमान योजना’ के लिए नाथ सरकार ने बजट देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा काम किया है. युवाओं को बिना काम किए आर्थिक सुविधा देने की बात अब तक केवल कागजी रही है जिससे उनमें असंतोष उत्पन्न होता रहा है. बेरोजगारी और कागजी वायदों के कारण अपने प्रदेश के प्रति युवाओं में कोई अनुराग नहीं होता था लेकिन अब समय बदलाव का है और इस बदलाव के दौर में ‘युवा स्वाभिमान योजना’ युवाओं का मन बदलने में कामयाब होगी. उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी नेे कहा है कि जीवन जीने का सबसे उत्तम तरीका स्वाभिमान से जीना है. यही बात युवाओं के मार्गदर्शक विवेकानंद भी कहते रहे हैं. मनुष्य के कामयाब जीवन के लिए जरूरी है कि उसके भीतर का स्वाभिमान हमेशा जिंदा रहे। यह पहली पहली बार हो रहा है कि युवाओं को स्वाभिमान से जीने का अवसर मिल रहा है. 

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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