ताजमहल पर भगवा वस्त्र के बारे में भ्रम और निवारण

डा. राधेश्याम द्विवेदी
नरेन्द्र भाई मोदी जी और आदित्य नाथ योगी जी की सरकार में भगवा दुपट्टे और गमछों का चलन बढ़ा है, लेकिन ताजमहल में भगवा रंग के दुपट्टों को पहनकर पहुंची विदेशी मॉडल्स को सुरक्षा जांच के दौरान रोक दिया गया। 19 अप्रैल 2017 दोपहर को दिल्ली से आईं 34 देशों की मॉडलों(सुंदरियों ) में अधिकांश ने धूप से बचने के लिए रामनामी दुपट्टों को ओढ़ रखा था, लेकिन सीआईएसएफ ने इन्हें उतरवाकर बाहर रखवा दिया, जबकि ताज में केवल धार्मिक प्रतीक चिन्ह और पूजा सामग्री पर ही रोक है।दिल्ली में सुपर मॉडल इंटरनेशनल 2017 में हिस्सा ले रहीं 34 देशों की मॉडल 19 अप्रैल 2017 दोपहर में ताजमहल का दीदार करने पहुंचीं। इन सुंदरियों ने ताजमहल में प्रवेश किया तो उनकी चेकिंग शुरू हो गई। दो सुंदरियां भगवा दुपट्टा ओढ़े थी। नियमों का हवाला देकर इनके दुपट्टे गेट पर ही रखवा लिए गए। पर्यटन पुलिस के अधिकारी सुशांत गौर इन सुंदरियों की सुरक्षा में तैनात थे। पूर्वी गेट से सुंदरियों के प्रवेश करने के बाद सीआईएसएफ द्वारा उनकी चेकिंग शुरू कर दी गई। दो सुंदरियां भगवा रंग का दुपट्टा ओढ़े हुए थी। गाइड ने उनसे दुपट्टों को उतारकर रखने के लिए कह दिया। पूछने पर बताया कि इस तरह की चीजें ताजमहल पर प्रतिबंधित हैं। चेकिंग के दौरान कुछ बैगों में झंडे भी मिले। उन्हें भी अंदर ले जाने से मना कर दिया गया। सुदंरियों की टी शर्ट पर भी किसी कंपनी का नाम लिखा था। इस पर भी आपत्ति जताई गई। पर्यटन पुलिस के अधिकारी सुशांत गौर ने बताया कि चेकिंग के दौरान ही भगवा रंग के दुपट्टों को गेट पर रखवा दिया गया। हालांकि एक माडल ने गेट के अंदर ही भगवा दुपट्टे के साथ सेल्फी ले ली। इस पर आयोजकों ने आपत्ति भी की, लेकिन सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों ने इसे प्रतिबंधित सामग्री मानते हुए बाहर भिजवा दिया। मॉडलों से उनके देश के चिन्ह वाले दुपट्टे भी हटवा दिए, जबकि उनकी कैप और टीशर्ट पर विभिन्न कंपनियों के नाम लिखे हुए थे, जो प्रमोशन के तौर पर उपयोग किए जा सकते थे, इन्हें नहीं उतरवाया गया। ताजमहल में सुरक्षा जांच के दौरान इस घटना से विदेशी मॉडल आहत हुईं।
वनवासी कन्याओं के रामनामी दुपट्टे उतरवाने के बाद ही दिया था ताज में प्रवेश:-एएसआई एक्ट में स्मारक के अंदर धार्मिक प्रतीक चिन्हों को न ले जाने, पूजा सामग्री और व्यवसायिक गतिविधियों एवं ब्रांड प्रमोशन पर रोक है, लेकिन इसकी व्याख्या हर सुरक्षाकर्मी अपनी तरह से करता है। स्पष्ट गाइड लाइन न होने से ताजमहल पर पूर्व में कई बार ऐसे विवाद हो चुके हैं। एएसआई एक्ट में स्मारक के अंदर धार्मिक प्रतीक चिन्हों को न ले जाने, पूजा सामग्र्री और व्यवसायिक गतिविधियों एवं ब्रांड प्रमोशन पर रोक है, लेकिन इसकी व्याख्या हर सुरक्षाकर्मी अपनी तरह से करता है। स्पष्ट गाइड लाइन न होने से ताजमहल पर पूर्व में कई बार ऐसे विवाद हो चुके हैं। 24 अक्तूबर 2012 में वनवासी सत्संग समिति की सदस्यों के गेंरुए रामनामी उत्तरीय उतरवा दिए गए थे। वह कोठी मीना बाजार मैदान पर हो रही कथा के लिए आगरा आई थीं। ताजमहल देखने के बाद उन्हें धार्मिक समूह मानते हुए प्रवेश से रोका गया था। तब यह मामला मंत्रालय तक पहुंचा था। वनवासी सत्संग समिति की महिला सदस्यों को ताजमहल में सुरक्षा के नाम पर अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा। गेरुआ वस्त्रों में देख सीआईएसएफ जवानों ने उन्हें पहले तो प्रवेश से रोका। फिर काफी जद्दोजहद के बाद उनके रामनामी उत्तरीय (दुपट्टे) उतरवाकर ही जाने दिया, जबकि इन पर रोक भी नहीं है। उनकी जवानों से तीखी नोंकझोंक भी हुई। वनकन्याओं ने इसे एक राष्ट्रीय स्मारक पर नियमों की आड़ में की जा रही तानाशाही करार दिया। सीआईएसएफ का कहना है कि इन युवतियों द्वारा प्रदर्शन किए जाने की ‘आशंका’ थी। कोठी मीना बाजार में श्री हरि सत्संग समिति का सत्संग चल रहा है। इसमें भाग ले रही समिति से जुड़ी वनवासी समाज की 20 युवतियां मंगलवार की सुबह ताजमहल देखने पहुंची। वे अपनी विशिष्ट वेशभूषा थीं। गेरुआ वस्त्र और ऊपर से रामनामी उत्तरीय। इनमें कुछ साड़ी तो कई लंबा कुर्ता भी पहनती हैं। उत्तरीय को वह दुपट्टे की तरह इस्तेमाल करती हैं। टिकट लेने के बाद जब वह गेट पर पहुंची तो उन्हें रेड जोन की सुरक्षा में तैनात जवानों ने रोका। किसी धार्मिक समूह से होने की बात कहकर प्रवेश देने से इनकार कर दिया। वनकन्याओं ने समझाया कि यह उनका बाना है और यहां वह सिर्फ ताज देखने आई हैं। लंबी बहस के बाद जवानों ने उनके रामनामी दुपट्टे उतरवा लिए तब प्रवेश करने दिया। युवतियों ने उत्तरीय उतारने के बाद असहज महसूस कर रही वन कन्याएं पूरा ताज देखे बिना कुछ ही समय में बाहर आ गईं। दुपट्टे वापस लेने के दौरान भी उनकी जवानों से तीखी नोंकझोंक हुई। उनका कहना था कि वह किसी धार्मिक उद्देश्य से वहां नहीं आई थीं। जिस तरह से उनके दुपट्टे उतरवाए गए, वह नियमों की गलत व्याख्या और उनका अपमान है। यदि एसे ही नियमों की मनमानी व्याख्या की जाती रही तो वह दिन दूर नहीं कि भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी , जल संसाधन मंत्री साघ्वी उमा भारतीजी तथा उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महन्थ आदित्यनाथ योगी जी को भी अपने बस़्त्र उतारने पड़ सकते है। यह भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकार तथा नीति निर्देशक तत्व का घोर उलंघन होगा।दशकों पहले ताज परिसर में आवले के पेड़ की पूजा हो रही थी। ताज प्रशासन ने ना केवल इस परम्परा को बन्द करा दिया अपितु वह पेड ही कटा दिया है। इससे काफी पहले तो दशहरे के अवसर पर ताज परिसर में मेले तक लगते थे जिसे बन्द करा दिया गया और अब वह पूजन दशहरे घाट पर किया जाने लगा है।ताज महल में एसे अनेक अवसर आये जब हिन्दू धर्मावलम्बियों के साथ ही यह भेद भाव प्रायः किया जाता रहा है। लगता है यहां भारतीय संविधान ना लागू होकर शरियत का कानून लागू होता है। ताजमहल भारत में ना होकर पाकिस्तान या ईरान में होना दिखता है। इस प्रकार नस्ल भेद करने वाले विश्वदाय स्मारक कर्मचारी को इससे अलग रखा जाना चाहिए। यहां तो वसुधैव कुटुम्बकम् को अपनाने वाले कर्मचारी को लगाया जाना चाहिए। आगरा के अनेक धार्मिक धर्मावलम्बियों ने इस कृत्य की घोर निन्दा की है। आगरा भाजपा महानगर अघ्यक्ष श्री विजय शिवहरे ने इस कार्य की घोर निन्दा करते हुए दोषी कर्मचारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है। प्रतीत होता है इस बार यह मामला रफा दफा ना होकर किसी स्थाई समाधान के तरफ जाकर रहेगा।
जांच का आदेश:-ताजमहल में प्रवेश करने से पहले विदेशी मॉडल को भगवा दुपट्टा उतारने पर मजबूर करने को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार ने मामले की जांच का आदेश दिया है। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि, आप कुछ भी पहन सकते हैं। चाहे यह पीला हो, लाल हो या हरे रंग का। पहनावे को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। हमने इस मामले की जांच शुरू कराई है। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि 17वीं सदी में बने विश्व प्रसिद्ध स्मारक को देखने पहुंचे लोगों के पहनावे पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हो सकता है कि टूरिस्ट गाइड या किसी पुलिसकर्मी ने दुपट्टा उतारने के लिए कहा हो। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। 12 अप्रैल से शुरू हुए 11 दिवसीय सुपर मॉडल इंटरनेशनल कॉन्टेस्ट में 34 मॉडल अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। बुधवार को ताजमहल देखने पहुंची थीं, तो इनमें से कुछ ने राधानामी भगवा दुपट्टे से सिर ढक रखा था। परिसर में कदम रखने के करीब पहुंची मॉडलों को कथित रूप से दुपट्टा हटाने को कहा गया था। इसके बाद ही उन्हें स्मारक में प्रवेश दिया गया था।¨हदूवादी संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। भाजयुमो ने इसमें धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला बताया है।
बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने भगवा पहन कर भ्रम और निवारण किया :- ताजमहल के अंदर बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने 22-04-2017 को भगवा रामनामी दुपट्टा पहनकर प्रवेश किया। इसे फोरकोर्ट में रॉयल गेट के सामने लहराया। सुबह कार्यकर्ताओं ने पूर्वी और दक्षिणी गेट पर प्रदर्शन कर ताज के अंदर प्रवेश करना चाहा था, लेकिन पुलिस ने बेरिकेडिंग कर दी और पूर्वी गेट बैरियर पर ही रोक दिया। बाद में कुछ कार्यकर्ता टिकट खरीदकर अंदर गए। उन्होंने ताज के अंदर भगवा रामनामी दुपट्टे के साथ फोटो खिंचवाए। ताजमहल के 500 मीटर के अंदर बैरियर पर प्रदर्शन के बाद भी ताज सुरक्षा पुलिस ने चुप्पी साधे रखी और किसी तरह की कार्रवाई से इनकार किया। ताज पर 34 देशों की मॉडलों के आने पर भगवा दुपट्टा जांच के दौरान गेट पर ही उतरवा दिया गया था। इसके विरोध स्वरूप विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने ताजमहल में भगवा रामनामी दुपट्टे के साथ ताज में प्रवेश का एलान किया था। प्रदर्शन की सूचना पर पुलिस ने पहले ही पूर्वी गेट और दक्षिणी गेट पर सुरक्षा बढ़ा दी थी। पूर्वी गेट पर पाठक प्रेस के सामने बैरियर पर पुलिस ने उन्हें रोका। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का हवाला देकर कार्यकर्ताओं से प्रदर्शन समाप्त कराया। एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. भुवन विक्रम को कार्यकर्ताओं ने बैरियर पर ही ज्ञापन सौंपा। इस बीच कई कार्यकर्ता टिकट खरीदकर ताज के अंदर प्रवेश कर गए। भगवा दुपट्टे के साथ सेल्फी ली और फोरकोर्ट में भगवा रामनामी दुपट्टा लहराकर फोटो खिंचवाए। इस दौरान सीआईएसएफ और पुलिस मूक दर्शक रही। एएसआई अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी रंग के कपड़े पहनकर ताज में प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है। एएसआई एक्ट में जो वस्तुएं प्रतिबंधित हैं, केवल उनको रोका जाता है।विहिप-बजरंग दल के साथ शिवसेना के कार्यकर्ता भी ताजमहल के अंदर पहुंचे। पूर्वी गेट पर पुलिस ने उन्हें रोका, लेकिन हंगामे के बाद उन्हें ताज में प्रवेश दिया गया। शिवसेना आगरा प्रमुख वीनू लवानियां के नेतृत्व में विरोध के लिए शिवसैनिकों ने भगवा कपड़े पहनकर फोटो भी खिंचवाए।

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