बारिश के दिनों में पैरों का रखें खास ख्याल

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-सरफ़राज़ ख़ान

बारिश के मौसम में नंगे पैर चलना जोखिम भरा हो सकता है। कुछ लोगों के जूतों में छेद हो जाते हैं जिससे कटने या जख्म होने का डर होता है। ऐसे कुछ मामलों में जख्म संक्रमण का रूप ले लेता है, जिसके लिए ऑपरेशन की जरूरत होती है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ पानी के नीचे नुकीली चीजें हो सकती है जिसकी वजह से आप जख्मी हो सकते हैं।

बचाव के लिए टिप्स :

• टिटनेस का टीका लगवाएं। किशोरों और वयस्कों को हर 10 साल में बूस्टर शोट्स लगवाने चाहिए।

• स्विमिंग पूल के आस पास या बारिश के समय टहलने के दौरान सैंडिल पहनें। इससे पैर में किसी भी तरह के घाव आने से बचाव होता है साथ ही वायरस व बैक्टीरिया से भी बचाव संभव होता है। ये समस्याएं एथलीट फुट, प्लांटर वाट्र्स और अन्य पैर की समस्याओं के तौर पर सामने आती हैं।

• बारिश के दिनों में कीड़े भी बाहर निकल आते हैं, जिनकी वजह से संक्रमण संभव होता है।

• पैरों की उंगलियों में फंगस इन्फेक्शन भी हो सकता है।

• मधुमेह रोगियों को तो कतई नंगे पैर नहीं निकलना चाहिए यहां तक कि घर के अंदर भी वे चप्पलों का इस्तेमाल करें, क्योंकि उनके पैर में किसी भी तरह की चोट नहीं आनी चाहिए।

• अगर आपको लगता है कि आपके पैर में कोई जख्म है तो 24 घंटे के अंदर उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। उस जख्म को सही तरीके से साफ करना जरूरी होता है और समस्या जटिल न हो इसके लिए आवश्यक उपाय अपनाने पड़ते हैं, उदाहरण के तौर पर टिश्यू और बोन इन्फेक्शन या पैर की टेंडन्स या मांसपेशियों का डैमेज हो सकता है।

• वाट्र्स, कैल्यूसिस, इनग्रोन टोनेल्स, सस्पीसशियस मोल्स, स्पॉट्स या फ्रेकलेस जैसी त्वचा सम्बंधी समस्याओं के लिए नियमित तौर पर जांच करते रहना चाहिए। जितनी जल्दी इनका पता लगा लिया जाए, उतनी जल्दी निदान संभव होता है।

• अपने पैरों को हमेशा सूखा रखना चाहिए। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

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सरफराज़ ख़ान
सरफराज़ ख़ान युवा पत्रकार और कवि हैं। दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी सहित देश के तमाम राष्ट्रीय समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में समय-समय पर इनके लेख और अन्य काव्य रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। अमर उजाला में करीब तीन साल तक संवाददाता के तौर पर काम के बाद अब स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे हैं। हिन्दी के अलावा उर्दू और पंजाबी भाषाएं जानते हैं। कवि सम्मेलनों में शिरकत और सिटी केबल के कार्यक्रमों में भी इन्हें देखा जा सकता है।

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