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तर कभी कृष्ण की कृपा जाते ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तर कभी कृष्ण की कृपा जाते, वर कभी बोध व्यथा से पाते; पाण्डव धीरे धीरे जग पाते, सुषुप्ति युगों की रहे होते! स्वार्थ में सने घुने जो होते, उन्हें पहचान कहाँ वे पाते; सात्विकी सहजता समाए वे, पातकी पात्र कहाँ लख पाते ! भाव जड़ता को कहाँ तर पाते, कहाँ…