पूरा दिन अच्छा ही अच्छा जाय।
नाश्ते के साथ भी चाय ज़रूरी है,
चाय के बिना कहानी ही अधूरी है।
महमान आ जाय,फिर चाय हो जाय,
महमान चाय पिये बिन जाने न पाय।
चाय भी कौन अकेली ही पी जाय,
नमकीन और कुकी हों तो मज़ा आ जाय।
बरसात मे तो पकौड़ी और हलवा भी भाय।
चाय के भी अलग अलग हैं प्रकार,
दार्जिलिंग की चाय हो या असम की चाय,
हिमाचल की चाय हो या नीलगिरि की चाय,
चीन जापान की हरी हरी चाय,
सीटीसी चाय हो या बड़ी पत्ती की चाय,
सबको अपनी पसन्द वाली ही भाय।
अनेक विधियों से बने है चाय,
चीनी, दूध अलग अलग पौट वाली चाय,
चीनी दूध बिना वो काली वाली चाय,
या ढ़ाबे वाली मलाई मारके चाय,
या सड़क की दुकान की काढ़े जैसी चाय,
टी.वी.सीरियल वाली अदरक की चाय,
ज़ुकाम ठीक करे तुलसी की चाय,
नीबू वाली चाय हो या मसाले की चाय,
सबको अपनी पसन्द वाली भाय।
ख़ुशी हो तो चाय, तनाव हो तो चाय,
काम हो तो चाय, ना काम होतो चाय,
सर्दी हो तो चाय,गर्मी हो तो चाय,
लूओं मे भी कहाँ छुट पाती है चाय,
बिना अलकोहल की शराब है चाय,
शराब जो न पिये टीटोटलर कहलाय।
बीनू जी:
इस मनोहर कविता के लिए बधाई।
विजय निकोर
BINU JI KEE KAVITA PADH KAR AADH GHANTE MEIN HEE TEEN BAAR CHAAY PEE CHUKA HUN .
KHOOB MAZAA DE GAYEE HAI KAVITA .