शिक्षक दिवस

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माँ ही मेरी पहली शिक्षक है
क्यों न उसे मै शीश निवाऊ
पढ़ा लिखा कर बड़ा किया है
क्यों न शिक्षक दिवस मनाऊ

पहले जैसे गुरु नही अब रहे
पहले जैसी नहीं अब दीक्षा
पहले जैसे शिष्य नहीं रहे
पहले जैसे नहीं अब शिक्षा

गुरु शिष्य में पहले जैसा
अब रहा नहीं अब नाता
समय के साथ बदल गये
गुरु शिष्य का अब नाता

शिक्षक दिवस अब बन गया
केवल अब एक किताबी नाता
पहले जैसी अब बात न रही
केवल रह गया कल्पना का नाता

पहले समय में शिष्यों द्वारा
गुरुओ को पूजा जाता था
आज ये अब आलम है भई
उसको शिष्यों द्वारा पीटा जाता

आओ हम सब मिलकर
पहले जैसा ही युग लाये
करे शिशको का आदर हम
तब ही शिक्षा दिवस मनाये

आर के रस्तोगी 

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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