pravakta.com
वो पीपल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
उनके वो हरे पत्ते जिसके छाॅंव पर हम बनते थे। मिटटी के गत्ते चैरहे पर अकेला ही तो था किसी अनाथ की तरह परोपकार में चढा मानव के हत्थे । दोपहरी में होते हम उसके परिवार दादा देते , हम सबको दुलार चुन्नू, मन्नू, रानू सखियों की होती पुकार और…