विश्व के सर्वशक्तिमान का गांधी को नमन करना…

2
146

भारत के शिखर पुरूष महात्मा गांधी के जीवन, दर्शन उनकी राजनैतिक शैली तथा सत्य, प्रेम, शांति व अहिंसा पर आधारित उने सिद्धांतों को लेकर वैसे तो हज़ारों पुस्तें व शोधकार्य प्रकाशित हो चुके हैं तथा अभी तक यह सिलसिला जारी है। इसे बावजूद अब भी गांधी जी से जुड़े तमाम ऐसे घटनाक्रम सामने आते रहते हैं जिसे कारण बापू तथा उनकी यादें न केवल पुनः ताज़ी हो उठती हैं बल्कि दुनिया एक बार फिर यह सोचने को विवश हो जाती है कि आिखर उस धोती व लाठी धारण करने वाले तथा अति साधारण से दिखाई देने वाले महापुरूष में ऐसी क्या विशेषताऐं थीं जिनकी बदौलत दुनिया का बड़े से बड़े नेता गांधी के समक्ष नमस्तक हो जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य गत दिनों उस समय देखने को मिला जबकि विश्व के सबसे शक्तिशाली समझे जाने वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिेका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक हसैन ओबामा ने अपनी तीन दिवसीय भारत यात्रा पूरी की।

राष्ट्रपति ओबामा का गांधी जी के प्रति लगाव व प्रेम किसी से छुपा नहीं है। अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने से पूर्व ही ओबामा गांधी दर्शन की हिमायत करते दिखाई देते थे। उन्हें अमेरिकी जनता ने जार्ज बुश की आक्रामक व हिंसक नीतियों की तुलना में इसीलिए निर्वाचित किया था कि वे हिंसा के बजाए अहिंसा तथा नफरत के बजाए प्रेम का संदेश देने की वकालत कर रहे थे। और ओबामा ने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत आकर तथा मुंबई में अपनी यात्रा गांधी जी के अस्थाई निवास मणिभवन में जाकर शुरू की तथा अपने अगाध गांधी प्रेम को जगज़ाहिर कर दिया। मुंबई के लाबरनम मार्ग पर स्थित मणिभवन उस ऐतिहासिक इमारत का नाम है जिसमें महात्मा गांधी 1917 से लेकर 1934 के मध्य ठहरा करते थे। यह निवास गांधी जी के एक मित्र रेवा शंकर जगजीवन झावेरी द्वारा 1912 में निर्मित कराया गया था। इस भवन में झावेरी गांधी जी के मेज़बान हुआ करते थे जबकि गांधी जी मेहमान। यही वह ऐतिहासिक भवन था जिसमें रहने के दौरान 1919 में बापू बीमार पड़े। जिसे पश्चात कस्तूरबा गांधी के आग्रह पर यहीं से बकरी का दूध पीना शुरु किया। इसी भवन में गांधी जी ने अंग्रेज़ी भाषा में प्रकाशित ‘यंग इंडिया’ तथा गुजराती के ‘नवजीवन’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्रों का संचालन किया। बड़े-बड़े नेताओं के साथ स्वतंत्रता संबंधी रणनीति यहीं होने वाली बैठकों में तैयार हुआ करती थी। गांधी जी ने इसी मणिभवन में रहते हुए चरख़ा चलाना सीखा। अंग्रेज़ों ने 4 जनवरी 1932 को गांधी जी को यहीं से गिरफ्तार किया था। आज यहां गांधी जी को लिखे गए सुभाष चंद्र बोस व रविंद्रनाथ टैगोर जैसे महान नेताओं के पत्रों का संग्रह तथा लगभग 50 हज़ार पुस्तकों को अपने आप में समेटे हुए एक विशाल पुस्तकालय भी है। मणिभवन आकर ओबामा ने यह महसूस किया कि यहां आने से उनमें दुनिया में शांति, अहिंसा और समृद्धि के लिए और अधिक काम करने का एक नया जज़्बा भर गया है। अपने आधे घंटे के मणिभवन प्रवास के दौरान ओबामा बहुत अभिभूत दिखाई दिए। उन्होंने मणिभवन में रखी आगंतुक पुस्तिका में लिखा है कि-‘चूंकि मुझे गांधी जी के जीवन से जुड़े इस स्थल के दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ है इसलिए मैं आशा और प्रेरणा से भर उठा हूं। वह नायक हैं, केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए। गांधी जी के जीवन की इस विरासत को देखने का सौभाग्य पाकर मैं उम्मीद और प्रेरणा से भर गया हूं। गांधी ने अमेरीकियों और मार्टिन लूथर किंग सहित अफ़्रीक़ी अमेरिकियों को प्रेरणा दी’। जबकि राष्ट्रपति ओबामा की पत्नी मिशेल ने उसी ऐतिहासिक आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार इन शब्दों में ़लमबंद किए- ‘इस यात्रा को मैं हमेशा संजोए रखूंगी। गांधी के जीवन व उनकी शिक्षा को दुनिया भर में हमारे बच्चों में हर हाल में बांटा जाना चाहिए’।

गौरतलब है कि ओबामा के राजनैतिक गुरु व प्रेरक अमेरिका में मानवाधिकारों के अलमबरदार समझे जाने वाले महान अश्वेत नेता मार्टिन लूथर किंग रहे हैं। मार्च 1959 में वे भी भारत पधारे थे तथा इसी ऐतिहासिक ताज होटल में ठहरे थे। अपने मुंबई प्रवास के दौरान मार्टिन लूथर किंग अपनी पत्नी कोटेटा किंग के साथ जब सर्वप्रथम गांधी जी के इसी अस्थाई आवास मणिभवन गए उस समय उन्होंने वहां मौजूद भवन के ट्रस्टी से आग्रह किया कि वे रात में भी यहीं ठहरना चाहते हैं। उस समय मणि भवन में अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था भी थी। इस प्रकार मार्टिन लूथर किंग ने मुंबई प्रवास के दौरान अपनी रात मणिभवन में ही गुज़ारी। और बाद में वहां मौजूद आगंतुक पुस्तिका में किंग ने लिखा ‘मणिभवन में कुछ दिन रहना जैसे गांधी जी के साथ रहने जैसा अनुभव था’। मार्टिन लूथर किंग की मणिभवन से जुड़ी यह घटना ओबामा को भी मालूम थी। और यही वजह थी कि ओबामा ने अपने भारत प्रवास के दौरान अपने गुरु लूथर किंग का अनुसरण करते हुए सर्वप्रथम मणिभवन की यात्रा की। वहां उन्होंने गांधी जी की विशाल प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक होने के बाद प्रतिमा को माल्यार्पण किया। ओबामा गांधी जी की कांस्य से बनी मूर्ति के पास कई मिनट तक खामोश होकर खड़े रहे तथा प्रतिमा को इस अंदाज़ से निहारते रहे गोया वे गांधी जी से बातें कर रहे हों। यहां राष्ट्रपति ओबामा को गांधी जी की आत्मकथा ‘द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ’ भेंट की गई। आगंतुक पुस्तिका में मार्टिन लूथर किंग के हस्ताक्षर देखकर ओबामा बोले कि -यह कितनी महान पुस्तक है। मणि भवन के कर्मचारियों से ओबामा यह वादा कर गए हैं कि वे इस स्थान पर पुनः ज़रूर आएंगे और अपने बच्चों को भी साथ लाएंगे।

विश्व के इस सर्वशक्तिशाली राष्ट्रपति के गांधी प्रेम का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ओबामा ने आज भी अपने ओवल हाऊस के कार्यालय की दीवार पर फ्ऱेम में मढ़ी महात्मा गांधी की तस्वीर लगा रखी है जो उन्हें उने राजनैतिक जीवन में प्रेरणा देती रहती है। कुछ समय पूर्व इस विषय पर राष्ट्रीय व अन्तरार्ष्ट्रीय स्तर पर यह बहस छिड़ी थी कि गांधीजी जब शांति व अहिंसा के इतने बड़े अलमबरदार थे फिर आिखर उन्हें शांति के नाबेल पुरस्कार से क्यों नहीं नवाज़ा गया? इस विषय पर मैंने अपने एक आलेख में यह लिखा था कि नि:संदेह नोबल शांति पुरस्कार विश्व का सवोर्च्च सम्मानित पुरस्कार है। परंतु गांधी दर्शन की अहमियत नोबेल शांति पुरस्कार की अहमियत से कहीं ऊंची है। यह बात उस समय भी प्रमाणित हुई थी जबकि ओबामा को अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ ही दिनों बाद उने द्वारा शुरु की गई शांति योजनाओं के लिए उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया। जब ओबामा ने नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते समय अपना भाषण दिया, उसमें भी ओबामा ने महात्मा गांधी तथा उनकी शांति व अहिंसा की नीतियों का न केवल ज़िक्र किया बल्कि गांधी दर्शन को अपनी प्रेरणा का स्त्रोत भी बताया।

अपनी भारत यात्रा के दौरान ओबामा का गांधी प्रेम केवल मुंबई के मणिभवन दौरे तक ही सीमित नहीं रहा। बल्कि वे मुंबई से दिल्ली पहुंचने पर अपनी पत्नी के साथ बापू के समाधि स्थल राजघाट भी गए। वहां उन्होंने समाधि पर खड़े होकर एक मिनट का मौन रखा तथा श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए। ओबामा अपने साथ मार्टिन लूथर किंग की समाधि में प्रयोग किए गए बेशकीमती पत्थर का एक टुकड़ा लाए थे जो उन्होंने गांधी जी के समाधि स्थल पर लगाए जाने हेतु भेंट किया। यहां भी आगंतुक पुस्तिका में ओबामा ने अपने भाव कुछ इन शब्दों में दर्ज किए-‘जिस महान आत्मा ने अपने शांति, संयम व प्यार के संदेश से पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया हम उसे हमेशा याद रखेंगे। उने निधन के 60 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी उनकी आभा पूरी दुनिया को प्रेरणा देती है’। ओबामा राजघाट स्थित समाधि स्थल पर 20 मिनट तक रुके तथा यहां से जुड़े कई प्रश्न पूछे। जैसे सप्ताह में कितने दिन समाधि स्थल खुलता है, किस समय के दौरान खुलता है, प्रतिदिन कितने लोग आते हैं आदि। इस महान आत्मा के समाधि स्थल पर गांधी दर्शन के अनुयायी अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ही नहीं आए बल्कि उनसे पूर्व आक्रामक विदेशी नीति के पैरोकार समझे जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति रह चुके जार्ज बुश भी इस समाधि स्थल पर आकर अपने श्रद्धा सुमन शांति व अहिंसा के इस महान पुजारी के प्रति अर्पित कर चुके हैं। यहां की आगंतुक पुस्तिका में जार्ज बुश के हाथों से लिखे गए यह भाव दर्ज हैं-‘हम सभी स्थानों पर मानवता में अमूल्य योगदान देने वाले और दुनिया के लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत, इतिहास के इस महान नेता की पवित्र समाधि पर आने का सम्मान प्राप्त करने का अवसर दिए जाने के लिए आभारी हैं।

राष्ट्रपति ओबामा गांधी जी की यादों के प्रतीक स्वरूप उनका प्रिय चरखा तथा और भी कई सामग्रियां अपने साथ ले गए हैं। ओबामा का समाधि स्थल पर स्वागत भी गांधी जी के सिद्धांतों के अनुरूप पूरी सादगी के साथ किया गया। यहां यह काबिलेगौर है कि बापू के इस समाधि स्थल पर किसी भी बड़े से बड़े तथा अतिविशिष्ट मेहमान का भी कोई अतिरिक्त सम्मान या स्वागत नहीं किया जाता। प्रत्येक आगंतुक को यहां समान नज़रों से देखा जाता है। किसी व्यक्ति विशेष के लिए विशेष व्यवस्था का अर्थ है किसी एक व्यक्ति को दूसरे से अधिक महत्व देना जोकि गांधी जी के सिद्धांतों के विरुद्ध है। जब तक दुनिया कायम है तब तक विश्व के किसी भी कोने में जब भी भी शांति, प्रेम, अहिंसा की बात होगी या आवश्यकता महसूस की जाएगी सबसे पहले भारत माता के इस महान सुपूत महात्मा गांधी का नाम हमेशा लिया जाता रहेगा।

— तनवीर जाफरी

2 COMMENTS

  1. दुनिया का कोई भी इंसान चाहे वो अमेरिका का राष्ट्रपति ही क्यों न हो ,गाँधी जी को विस्मृत नहीं कर सकता ….ये दीगर बात है की गाँधी जी के दर्शन से भारत में अधिकांस लोग सहमत नहीं हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here