एक टीस बन कर उतर गया है अंदर,
देखी नहीं जाती
यह बदहाली हमसे…
ऐ वक्त तू दिखा ले –
जो भी दिखाना हो तुझे,
हम भी जिद्द पर हैं –
लड़ाई चलेगी लंबी इस बार, हमारी जीत तक … ।
जो तुम सोचते हो कि –
यह देश है ठंडा अब न जागेगी चिंगारी कभी,
जो तुम समझते हो कि –
यहाँ अब न रहे लड़ने वाले कोई,
तो हम बता दें तुम्हें कि –
हमारी अच्छाई हमारी कमजोरी नहीं –
लिए शोले हम घूमते हैं अब भी,
आग जलेगी तुम्हें खाक में मिलाने तक … ।
ऐ वतन को लूटने वालों
तुम खाते हमारा ही हो,
ऐ वतन को तोड़ने वालों
तुम्हारी साँसें हम चलने दें, तभी तक हैं,
पर तुम्हें लगने लगा है कि
तुम बन शासक हमें नेस्तनाबूत कर सकते हो,
खड़े हो रहे हैं देखो नौजवां हमारे,
लड़ने को, तुम्हारी सत्ता हटाने तक… ।
क्या सोच तुम आए थे कि
हिन्द का खून पानी-पानी है,
क्या तुम ने मान लिया कि
अब यहाँ इस देश में न रहा कोई मानी है,
बहुत कर ली तुमने मनमानी
ऐ वतन के दुश्मन, बहुत वक्त गुज़र गया –
हिन्द ने ठानी है इस बार करेंगे घमासान,
तुम्हारा वजूद मिटाने तक … ।
राकेश भाई ,
नमस्कार.
आप जो केर रहे है वह सही रास्ता है हम जिस मंजिल को पाना चाहते है क्या वह केवल मेरा सपना है या उन लाखो लोगो का भीं जिनके लिया हमने यह सपना देखा है .जब तक समाज का एक बड़ा वर्ग तैयार नहीं हो जाता हम कुछ नहीं कर सकते |सर्वप्रथम हमारा कार्य ,समाज मे बदलाव के लिए जन मानस को तेयार करना होगा |जैसा की कलाम जी, बाबा रामदेव केर रहे है हमे भी अपने स्तर पर स्वयम तथा जो हमारे आस-पास एसा कर रहे है ‘को संगठित करना होगा “.संघ शक्ति कलियुगे “|तब तक हमें युवाओ के बीच जाना और जाग्रति लानी है.फेसबुक -रविकिरती,रामगढ झारखण्ड.
रवि जी, एक आन्दोलन खड़ा करने का प्रयास है…यहाँ देखिएगा…
https://democracyhijacked.wordpress.com/
बस कुछ दिन हुए शुरू किया है… जल्दी ही विशाल बनेगा ऐसा आत्मविश्वास है…आप सुझाव दीजिये कि और क्या किया जाए… भोपाल में कुछ लोगों से मिल रहा हूँ अगले माह, फिर जन संपर्क अभियान प्रारंभ कर रहा हूँ… साथ दीजिये, उपाय बताइए…बहुत सारे युवाओं से बात की है, जोश है, साथ खड़े हो कर आवाज़ उठाने की जरूरत है
आभार
राजीव भाई ,
दिल की टीस अंगार बनकर निकलए जरुर लेकिन तपिस ठंढी न हो |हजारो वर्षो की गुलामी ,टूटे आत्मविस्वश लिए जन मानश,लड़ाई छोटी नहीं है |जीतनी है तो कन्द्ये से कन्धा मिलाना होगा ,ये हुंकार कागजो के साथ जन मानष के बीच ले जाना होगा अंत तभी है इस लड़ाई का हम सब मातृभूमि के मुक्ति के पथिक को समझना होगा |
जागे तरुण,जगे हिंदुस्तान |
वन्दे मातरम |
लक्ष्मी नारायण जी, आभार .
हरपाल जी, आभार…ये किताबें इन्टरनेट पर भी उपलब्ध हैं.
कुछ किताबो को बताता हू जरुर पढिये अतीत का दिग्दर्शन भाग १-२-३ जरुर पढ़े फोन नम्बर नीरू अबरोल ९८१०८८७२०७ से प्राप्त कर सकते है
आदरणीय राजीव दुबे जी सप्रेम साहित्याभिवादन ..
आपका विचार प्रसंसनीय है कविता के माद्यम से आपने जो बात रखी है वह शिक्षा प्रद है
आपको हार्दिक …. बधाई …..
सादर …
लक्ष्मी नारायण लहरे