असम में नर संहार के पीछे छिपी साज़िशी ताक़तें

assam डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

नैशनल डैमोक्रेटिक फ़्रंट आफ बोडोलैंड (सोंगबिजित) के धड़े ने पिछले दिनों असम प्रदेश के दो जिलों शोणिचपुर और कोकराझार में जो नर संहार किया उससे मानवता भी लज्जित हो जाये । इस गिरोह के लोगों ने पाँच अलग अलग स्थानों के गाँवों में लगभग ८० से भी ज़्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया । इनमें ज़्यादा औरतें और बच्चे ही थे । यहाँ तक की एक पाँच मास के बच्चे को भी गोली मारी गई । गिरोह की नृशंसता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ मास पहले इसने नौंवी कक्षा की एक लड़की को घर में घुस कर , पुलिस इनफ़ोरमर के नाम पर मार दिया । मारे जाने वाले जनजाति लोगों में से ज़्यादा संभाल , भील इत्यादि समुदायों के लोग थे । बोडो लोगों के नाम पर इस गिरोह का संचालन कर रहा सोंगबिजित स्वयं बोडो नहीं है । बताया जाता है कि इस गिरोह में २५० के लगभग लोग शामिल हैं । यह गिरोह आम बोडो समाज का प्रतिनिधि भी नहीं कहा जा सकता । क्योंकि इन की इस करतूत के बाद अनेक स्थानों पर बोडो समाज के लोगों ने भी इनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया । जिन स्थानों पर इस गिरोह के लोगों ने जनजाति समाज के निर्दोष लोगों को अपना निशाना बनाया वे सभी अरुणाचल प्रदेश और भूटान की सीमा पर स्थित हैं । यह क्षेत्र स्थल संचार माध्यमों से प्राय कटा हुआ ही है और जब तक पुलिस तक सूचना पहुँचती है और पुलिस घटनास्थल पर पहुँचती है तब तक इस गिरोह के लोग भूटान या अरुणाचल प्रदेश या म्यांमार की सीमा में पहुँच जाते हैं । दुर्भाग्य से म्यांमार के पर्वतीय क्षेत्रों में भी इसाईयों मिशनरियों ने मतान्तरण का काम बहुत तेज़ किया हुआ है और उन इलाक़ों में भी अलगाव का भाव पैदा किया हुआ है । इसलिये वहाँ के ऐसे अलगाव वादी गिरोह नैशनल डैमोक्रेटिक फंरंट आफ बोडोलैंड के अपराधियों को तुरन्त पनाह ही वहीं देते बल्कि अन्य सहायता भी करते हैं । वैसे असम पुलिस ने इस गिरोह के सरगना सोंगबिजित की सूचना देने के लिये दस लाख का ईनाम घोषित कर रखा है ।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पिछले कई दशकों से विदेशी पैसे के बल पर ईसाई मिशनरियां मतान्तरण के काम में लगी हुई हैं और उन्होंने अच्छी खासी संख्या में स्थानीय लोगों को मतान्तरित भी कर लिया है । इन विदेशी मिशनरियों का संचालन ही विदेशी पैसे से नहीं होता बल्कि इन की कार्य योजना भी विदेशों में बैठे इनके आका ही बनाते हैं । मतान्तरण के बाद का इन मिशनरियों का दूसरा पग इस मतान्तरित समुदाय में अलगाव के भाव पैदा करना होता है । राजनीति विज्ञान में कहा भी गया है कि मतान्तरण से राष्ट्रन्तरण होता है । अलगाव पैदा करने के बाद आतंक के बल पर अन्य समुदाय के लोगों को डरा कर नस्ली सफ़ाये का रहता है । सोंगबिजित का यह गिरोह फ़िलहाल इसी तीसरे चरण के काम में लगा हुआ है । इस गिरोह ने अपनी इस रणनीति को छिपाने के लिये अपने इस गिरोह का नाम नैशनल डैमोक्रेटिक फ़्रंट आफ बोडोलैंड रखा हुआ है , ताकि प्रथम दृष्ट्या यह एक राजनैतिक आन्दोलन दिखाई दे । लेकिन इस का मुख्य उद्देश्य असम के जनजाति क्षेत्रों में आतंक के बल पर अपना बर्चस्व स्थापित करना है ताकि ग़ैर इसाईयों जनजाति समाज को या तो वहाँ से भगा दिया जाये या फिर मतान्तरण के लिये परोक्ष रुप से विवश किया जा सके । स्थानीय जनजाति समाज पर इस गिरोह के पैशाचिक आक्रमण के बाद जनजाति लोगों का पश्चिमी बंगाल की ओर पलायन शुरु हो गया है । दुर्भाग्य से राज्य सरकार जब इस प्रकार के गिरोहों पर विचार करती है तो या तो उनके सरगनाओं को राजनैतिक आन्दोलन के नाम पर बातचीत के लिये बुला कर उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम करती है या फिर शान्ति स्थापना के नाम पर विदेशी पैसे के बल पर खाँस रही मिशनरियों के आगे घुटने टेक देती हैं । उनकी इस कृत्रिम प्रतिष्ठा के कारण प्रशासन के अंग उन पर कार्यवाही करने से घबराते रहते हैं ।
दरअसल असम में सोनिया कांग्रेस की सरकार राज्य में इसाईयों मिशनरियों के कामकाज की जाँच करने के स्थान पर , उनको कामकाज की सुविधाएँ मुहैया करवाती हैं । इसी का कारण है कि इस प्रकार के गिरोहों का साहस बढ़ता जाता है । केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ठीक ही कहा है कि इस प्रकार के अपराधी गिरोहों से बात करने का सवाल ही पैदा नहीं होता । उनकी गतिविधि को राजनैतिक गतिविधि न मान कर आतंक और अपराध की गतिविधि ही माना जायेगा और उसी के अनुरूप इन के सरगनाओं पर पकड़े जाने के बाद कार्यवाही की जायेगी । लेकिन इसके साथ ही जरुरी है कि इस गिरोह और पूर्वोत्तर में सक्रिय इस प्रकार के अन्य गिरोहों की पीछे काम कर रही असली ताक़तों की शिनाख्त कर ली जाये और उन्हें कटघरे में खड़ा किया जाये । कहा भी गया है , चोर को न मारो चोर की माँ को मारो ।
लेकिन नैशनल डैमोक्रेटिक फ्रंट आफ बोडोलैंड के मामले में चोर तो जाना पहचाना ही है और उसकी शिनाख्त अरसा पहले हो चुकी है । अब तो उसे केवल पकड़ना ही बाक़ी है । उसके लिये भी सरकार ने दस लाख का ईनाम घोषित किया ही हुआ है । देखना केवल इतना ही है कि सरकार के हाथ लम्बे हैं या अपराधी की दौड़ ।
लेकिन जाँच एजेंसियों का असली काम तो उन ताक़तों का पता लगाना है जो गले में क्रास लटका कर , उसके आगे बोडोलैंड की प्लेट चिपका कर , पूर्वोत्तर में अपना अपना ख़ूनी खेल खेल रही है ।

1 COMMENT

  1. Dr. Agnihotriji ka lekh pakshpatpoorn hai. jo asam ki samasya ke liye congress ko jimmedar mante hai. chhattisgarh ki naxali samasya ke liye b.j.p. ko doshi kyo nahi mante ? samasya ke mool me chunav ki galat paddhati hai. namankan, jamanat rashi, chunav chinh tatha e.v.m. ke karan ‘bharat nirvachan ayog’ hi desh ki pratyek samasya ke liye jimmedar hai. chunav prakriya se namankan, jamanat rashi, chunav chinh tatha e.v.m. hata dene par rashtra me suddha shasasn sthapit hoga. tabhi sab samasyao ka poornatah ant ho sakega. chunav ki galat prakriya ke karan ‘bharat nirvachan ayog’ vartman me ”Bharat Vinashak Ayog” kahlane yogya hai.

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