मप्र की राजनीति का उंट पहाड़ के नीचे आ रहा है

मोनिका पाठक

मप्र में जिस तेजी से चुनाव की तारीखें आ रही हैं उस तेजी से राजनैतिक सरगर्मियां भी बढ़ रही हैं। 15 साल से जो मुख्यमंत्री महोदय भाजपा के इकलौते जननायक और जनता के लाल बने हुए थे अब उन्हें दूसरे जननायक भी याद आ रहे हैं। जीहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैं, मेरे और मेरी सरकार के दायरे को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। जिस कदर प्रदेश में उनको विपक्ष इकलौते योद्धा के रुप में घेर रहा है उससे बचने उन्होंने अपनी चुनावी रणनीति शायद बदली है। अब शिवराज सिंह चौहान पहली दफा अपने मंच से कह रहे है कि मप्र का विकास उमा भारती , बाबूलाल गौर और उन्होंने किया है। 
देखने और सुनने में यह बात बहुत सीधी लग रही है मगर बात इतनी सीधी है नहीं। शिवराज सिंह चौहान ब्रांड का प्रचार अभियान एकदम ही सबका साथ प्रचार की ओर नहीं मुड़ा है। प्रदेश के दूसरे नेताओं की चुनाव अभियान से दूरी ने उन्हें मप्र में लगभग अलग थलग कर दिया है। अभी हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बने राकेश सिंह और वे अपनी चौथी पारी के लिए जमीन आसमान एक किए हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान ब्रांड पिछले कई सालों से मप्र की भाजपा सरकार की पहचान बना हुआ है। मप्र के सभी पूराने नेताओं की छवि को मामा और किसान के बेटे की छवि ने लगभग ढककर रखा हुआ है। अंत्योदय मेले हों, प्रदेश सरकार के बड़े समारोह हों,कुंभ हो, नर्मदा यात्रा हो या अटल अस्थि कलश यात्रा हो हर जगह शिवराज सिंह चौहान ही भाजपा और भाजपा ही शिवराज सिंह चौहान बने हुए हैं मगर जमीनी फीडबैक और अंदरुनी रिपोर्टों ने शिवराज को अपने नाम के साथ कुछ और पुराने नाम याद करने को मजबूर कर दिए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और बाबूलाल गौर ऐसे ही दो बड़े नाम हैं जो पहली बार मुख्यमंत्री के मुख से निकले हैं।

असल में इस समय एससी एसटी एक्ट संशोधन विधेयक की जिस तरह से सवर्ण वर्ग आलोचना कर बीजेपी पर गुस्सा है उससे 15 साल के मुखिया बने बैठे शिवराज भी चिंतित हैं। प्रदेश भाजपा ने लंबे समय से उन्हें ओबीसी चेहरे के रुप में बहुत अभियानपूर्वक प्रचारित किया है। देशभर में ओबीसी के नाम पर वोट मांगने दूसरे राज्यों में उन्हें अमित शाह के नेतृत्व में मंच मिला है। ऐसे में मप्र से ओबीसी के इकलौते बड़े चेहरे के रुप में शिवराज का कद बड़ा है जबकि ओबीसी के दूसरे प्रादेशिक चेहरों के कद बौने हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लोधी समाज की बड़ी नेता हैं तो बाबूलाल गौर यादव जाति के पुराने नेता होने पर भी लंबे समय से हाशिए पर हैं।
बाबूलाल गौर को तो पार्टी ने लगभग एकतरफा मंत्री पद से उतारकर नाराज कर रखा है। वे मप्र की भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली पर लंबे समय से सवाल उठा रहे हैं। उनके साथ उमर का हवाला देकर कैबीनेट से हटाए गए सरताज सिंह भी शिवराज सरकार की खामियों की आए दिन मीडिया में आलोचना करते हैं। बाबूलाल गौर और सरताज सिंह जैसे कई दशक पुराने खांटी भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान सरकार के विकास को सवाल खड़े करके विपक्ष को मु्द्दा दे जाते हैं। मप्र के कांग्रेस नेता इस वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा पर शिवराज और भाजपा को आए दिन कोसते हैं। उमा भारती को भी तिरंगा यात्रा के बाद से मप्र भाजपा में हाशिए पर रख दिया गया है। उमा बाबूलाल गौर के समय पार्टी से नाराज रहीं मगर गौर को हटाने पर भाजपा ने उनकी जगह शिवराज को मुख्यमंत्री बना डाला। तबसे मप्र में उमा भारती और उनके समर्थक शिवराज सिंह चौहान के अंदरुनी विरोधी बने हुए हैं।
15 साल से निश्कंटक राज्य करने के बाद अब शिवराज जब सत्ता के समर में उतरे हैं तो इन बड़े ओबीसी नेताओं के प्रभाव और उनके समर्थकों की नाराजगी उन पर भारी पड़ रही है। बुंदेलखंड मे उमा, भोपाल रायसेन में गौर तो होशंगाबाद तरफ सरताज सिंह शिवराज की जनआशीर्वाद से अंदरुनी तौर से दूर हैं। ऐसे में शिवराज बैकफुट पर हैं और टीकमगढ़ में रथ पर बैठकर उन्हें लोगों से कहना पड़ा कि 2004 से उमा भारती बाबूलाल गौर और मैंने प्रदेश की किस्मत बदलने का काम किया है।
शहर देखकर नारे और भाषण दे रहे शिवराज सिंह चौहान की यह बात बुंदेलखंड के उमा समर्थक कितना पचा पाएंगे ये तो 2018 का चुनाव बताएगा मगर फिलहाल तो इसने साबित कर दिया है कि मप्र में शिवराज के लिए अकेले जननायक कहलाने का सफर आसान नहीं। वे रथ पर अब दूसरे ओबीसी नेताओं को बिठाने राजी हो गए हैं मगर सत्ता बांटने पर वे राजी हुए हैं या नहीं ये केवल शिवराज बताएंगे।

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  1. आगामी लोक सभा निर्वाचनों से पूर्व अभी से भारतीय राजनीति में राष्ट्र-विरोधी तत्व बड़ी सक्रियता से छल-कपट द्वारा आधुनिक सामाजिक मीडिया स्रोत में पाठक और दर्शक, सभी प्रकार से मतदाताओं के मस्तक में युगपुरुष मोदी जी और उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय शासन के प्रति असत्य छवि छोड़ने का क्रूर उपक्रम कर रहे हैं| सावधान रहें! कांग्रेस द्वारा मचाए चिरस्थाई भ्रष्टाचार से उत्पन्न समाज के सभी क्षेत्रों में पिछड़ापन और कुछ अधिकारियों के हाड़ मांस में चिपकी अयोग्यता को वर्तमान राष्ट्रीय शासन की देन बताते राष्ट्रद्रोही अराजकता फैलाने लगे हुए हैं| हमें अपने प्रिय भारत और देश में रहते अपने और अपने बच्चों व वंश के भविष्य का सोचते राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी को निर्वाचनों में पूर्णतया चयन कर भारत को सुदृढ़ बनाना होगा ताकि राष्ट्रीय शासन के साथ भागीदारी में हम सबका साथ, सबका विकास हो सके|

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