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प्रेम परिधि - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बिंदु और रेखा में परस्पर आकर्षण हुआतत्पश्चात् आकर्षण प्रेम में परिणतधीरे-धीरे रेखा की लंबाई बढ़ती गईऔर वह वृत्त में रूपांतरित हो गयीउसने अपनी परिधि में बिंदु को घेर लिया अब वह बिंदु उस वृत्त को हीसंपूर्ण संसार समझने लगाक्योंकि उसकी दृष्टिप्रेम परिधि से परे देख पाने मेंअसमर्थ हो गई थी…