भारत विरोधियों का दुःसाहस…

भारत को बदनाम करके कमजोर करने वाला विशेष वर्ग ऐसे विभिन्न प्रकार के झूठे व मिथ्या आरोप लगाने का विशेषज्ञ है। अमरीका की प्रसिद्ध “टाइम” पत्रिका में पाकिस्तानी कट्टरपंथी राजनीतिज्ञ दिवंगत सलमान ताशीर व भारत की वरिष्ठ पत्रकार सुश्री तवलीन सिंह के पुत्र आतिश ताशीर के श्री नरेन्द्र मोदी के विषय में लिखे लेख के शीर्षक “इंडियाज डिवाइडर इन चीफ” से ही यह ज्ञात होता है कि लिखने वाला भारत विरोधी पूर्वाग्रहों से ही ग्रस्त है। उन्हें वर्तमान भारत का कोई ज्ञान नहीं। वह पाकिस्तान की जन्मजात भारत विरोधी शत्रु मानसिकता से बाहर निकलने की मनस्थिति में नहीं है।

श्री नरेंद्र मोदी को भारत का मुख्य विभाजक बता कर लेखक किसको मूर्ख बनाना चाहता है?भारत भक्तों को यह भली प्रकार समझ में आ गया है कि मोदी जी के सशक्त प्रशासकीय कार्यकुशलता के परिणामों से भारत का खोया हुआ सम्मान आज विश्व में पुनः स्थापित हो रहा है। हो सकता है कि लेखक अपने इस कटुतापूर्ण लेख के माध्यम से भारत के साथ साथ शेष विश्व में मोदी जी को हिन्दुओं का मोहम्मद अली जिन्नाह, ओसामा बिन लादेन या बगदादी जैसा अत्याचारी बताने का दुःसाहस कर रहा हो। लेकिन आधुनिक काल में मुगलकालीन अत्याचारी व्यवस्था के समान कोई व्यवस्था को सभ्य समाज क्यों कर स्वीकार करेगा ? क्या इस लेख से लोकतंत्र में बहुमत से विजयी हुए श्री नरेंद्र मोदी जी को देश की सत्ता सौपने वाले भारतीयों का लेखक द्वारा अपमान किया जाना उचित है?

श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार की मई 2014 से मई 2019 तक लगभग 5 वर्षों की अवधि में जम्मू-कश्मीर व पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त देश के किसी भी अन्य क्षेत्र में साम्प्रदायिक हिंसा व आतंकवादी घटनाएं नहीं हुई। जबकि मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और भारतीय सुरक्षाबलों पर ही अत्याचार होता आ रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल में भी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही हिन्दुओं का ही उत्पीडन हुआ है। लेकिन स्वतंत्र भारत के इस एतिहासिक सत्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि साम्प्रदायिक दंगे अधिकांश मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही मुसलमानों द्वारा ही करवाये जाते रहे हैं।

वर्तमान सरकार ने सबका साथ व सबका विकास करने की नीति पर कार्य किया है। समस्त देशवासियों के साथ एक समान व्यवहार हुआ। भेदभावपूर्ण कोई नियम व कानून नही बनें। ऐसे में मोदी जी को विषाक्त धार्मिक राष्ट्रवाद फैलाने वाले के रूप में प्रस्तुत करना झूठ की पराकष्ठा व पत्रकारिता का भयावह रूप है। जबकि सोनियानीत पिछली सप्रंग सरकार ने बहुसंख्यकों हिन्दुओं के विरुद्ध व भारत से भारतीयता को मिटाने के लिये 2011 में एक भयानक अमानवीय व असंवैधानिक “सांप्रदायिक लक्षित हिंसा निरोधक अधिनियम” बनाने का कुप्रयास किया था। उस प्रस्तावित अधिनियम के प्रारूप को शायद इस मुस्लिम कट्टरपंथी लेखक ने समझने का प्रयास ही न किया हो। क्योंकि उसमें भारत विरोधियों की विजय का संकेत था। 
यहां यह भी कहना उचित ही है कि अल्पसंख्यकों  को अनेक योजनाओं द्वारा पूर्व सरकारों की तुलना में मोदी सरकार ने अधिक लाभान्वित किया है। मुस्लिम समाज के विशेष सशक्तिकरण के प्रयास किये गए हैं। भारतीय प्रशासनिक व अन्य सरकारी सेवाओं में मुस्लिम समाज की भागीदारी कई गुना बढ़ी है।

“इडियास डिवाइडर इन चीफ” नाम के शीर्षक से प्रकाशित लगभग 30 पृष्ठों के लेख का सम्भवतः “टाइम पत्रिका”  के विद्वान संपादक ने अध्ययन ही न करा हो और भारत में हो रहें लोकसभा चुनावों के मध्य ही मोदी जी को अपमानित करने की शीघ्रता में ऐसा किया गया हो। इस लेख की सत्यता को जानें बिना इसको प्रकाशित करवाने के पीछे वह वर्ग भी प्रयासरत होगा जिनका उन लगभग बीस हज़ार  एन.जी.ओ.(N.G.O.) से संबंध हो और जिनको भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाने के कारण मोदी सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है।

भारत के टुकड़े-टुकड़े करके विभाजित व बर्बाद करने की दुर्भावना से ग्रस्त षड्यंत्रकारियों को विफल करने में मोदी सरकार का कुशल प्रशासन सराहनीय है। भारत के शत्रुओं को सर्जिकल व एयर स्ट्राइक द्वारा नष्ट करने के अभियानों से श्री नरेन्द्र मोदी जी के साहसिक निर्णयों का सम्पूर्ण जगत में अभूतपूर्व स्वागत हुआ है। लेखक व प्रकाशक को पुनः विचार करना चाहिये कि अगर श्री नरेन्द्र मोदी जी कुछ भी अमानवीय कार्य या भारतवासियों के विरुद्ध कार्य करते तो क्या अनेक राष्ट्रों द्वारा (जिनमें कुछ मुस्लिम राष्ट्र भी है) उन राष्ट्रों के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से मोदी जी को अलंकृत किया जा सकता था।

निःसंदेह पत्रकारिता के उच्च मापदंडों से प्रकाशक अनभिज्ञ नहीं होंगे फिर भी आज मीडिया जगत में अविश्वसनीय व स्वार्थी तत्वों की पहुँच बढ़ने से “काले को सफेद व सफेद को काला”  बना कर प्रस्तुत करना सरल होता जा रहा है। मैं अधिक न लिखते हुए बस इतना ही चाहूंगा कि लेखक अपनी गलती माने चाहे न माने परंतु टाइम पत्रिका के प्रकाशक और सम्पादक को अपनी प्रतिष्ठित पत्रिका के सम्मान को बचाये रखने के लिए इस लेख के लिये समस्त सभ्य समाज व पाठकों से एक बार क्षमा अवश्य मांगनी चाहिये। ।

विनोद कुमार सर्वोदय

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