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राजनीति का गिरता चरित्र और घटती साख ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रभुनाथ शुक्ल राजनीति का यह दौर वैचारिक और सैद्धांतिक रुप से संक्रमण का है। राजनीति हर पल एक नयी भाषा और परिभाषा गढती दिखती है। वैचारिकता की जमींन सै़द्धांतिक रुप से बंजर हो चली है। विचारों का कोई चरित्र है न चेहरा। सियासत में चहुंओर सिर्फ सत्ता के लिए…