आतंकवादी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी के बिगड़ते हालात
मृत्युंजय दीक्षित
जब पूरा देश ईद के जश्न से उबर रहा था कि ठीक उसी समय कश्मीर में आतंक के पर्याय बन चुके दस लाख के ईनामी आतंकवादी हिजबुल कमांडर बुरहान बानी को सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल आपरेशन ग्रुप ने कार्यवाही के दौरान मार गिराया। यह आतंकवादी सोशल मीडिया के माध्यम से कश्मीरी जनता को भारत व भारतीय सेना के खिलाफ भड़काता रहता था। बुरहान ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें अनंतनाग में तीन पुलिस वालों की हत्या के बाद अपलोड किये गये वीडियो में और भी अधिक हमलों की चेतावनी दी गयी थी। साथ ही एक वीडियों में वह जनता को भड़का रहा था तथा सेना के जवानों को धमकी दे रहा था कि या तो अपनी वार्दी छोड़े या फिर मरने के लिए तैयार रहें। लंेकिन सेना के जवानों ने इस बार आतंकवादियों को बहुत ही साॅलिड उत्तर दिया है। सबसे आश्चर्य की बात यह कि जिस काम के लिए देश की सेना की देशभर के सभी मीडिया संस्थानों व राजनेताओं की ओर से सेना के जवानों की सराहना की जानी चाहिये थी लेकिन वे लोग पता नहीं क्यों व किस लालच में इस आतंकवादी के मारे जाने पर पूरी तरह से जश्न नहीं मना सके और नहीं सेना की कार्यवाही का खुलेमन से समर्थन किया और नहीं शाबाशी दी। जिसके कारण आज कश्मीर के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के एक टिवट के बाद पूरी घाटी में आग लगी हुई है।
हालात बेहद तनाव पूर्ण हो चुके हैंकि वहां के जनप्रतिनिधि विधायक और सांसद आदि घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वहां की जनता अलगाववादी नेताओं के बहकावे के कारण पूरी तरह से विद्रोह पर उतर आयी है। कश्मीर घाटी के इन अशांत तत्वों को पाकिस्तान की खुफिया एजंेसी आईएसआई का समर्थन तो हासिल है ही भारत में धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति खेलने वाले दलों व तत्वों का भी कुछ हद तक हाथ है। विगत 24 घंटों का अंदर पाकिस्तान की ओर से आतंकी बुरहान की मौत की निंदा के बयान सामने आ चुके हैं।
आज एक बुरहान को जिस प्रकार से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक नया आइकान बताया है और उन्होनें यह कहा है कि घाटी में आने वाले दिन काफी अशांति के हो सकते हैं के बाद वहां के हालातें के पीछे उनके टिवट, उनकी मंशा व उसके बाद जिस प्रकार से वहां की स्थिति विस्फोटक हो रही है उसमें उनकी भूमिका भी जांच होनी चाहिये। आज कश्मीर की इस असाधारण स्थिति में पूरा देश जम्मू कश्मीर व वहां की मुख्यमंत्री के साथ खड़ा है।
कश्मीर में मारा गया आतंकवादी बुरहान आतंकवादी ही था लेकिन उसके जनाने में जिस प्रकार से दो लाख लोग शामिल हुए और उपस्थित जनसुमदाय ने भारत विरोधी नारेबाजी की और उसके बाद घाटी में व्यापक स्तर पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह भी है कि आतंकवादी बुरहान का जिस प्रकार से अंतिम संस्कार होने दिया गया यदि उसे चुपचाप एक सामान्य आतंकी की तरह दफना दिया गया होता तो भी संभवतः इस प्रकार के हालात नहीं पैदा हुए होते। आज कश्मीर के लोग एक आतंकवादी के मारे जाने के बाद जिस प्रकार से पागलपन की हद तक जाकर प्रदर्शन कर रहे हैं वह अलगाववादियों के प्रति सरकारांे की ढुलमुल नीति का ही परिणाम है। अगर पूर्ववर्ती सरकारें इन अलगाववादी तत्वों व तथाकथित पत्थरबाजों के खिलाफ पहले से ही बेहद कड़ी कार्यवाही की होती तो आज हालात इतने बुरे नहीं हुये होते। रही बात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की तो उसके लिए इस तरह की परिस्थितियां राहत देने वाली हो सकती है। कश्मीर के बिगड़ते हालातों के बीच आईएसआई की योजना का मकसद होता है घाटी को शेष भारत से काटने का और उसके बाद सीमा पार से बड़ी मात्रा में आतंकवादियों की घुसपैठ कराना। खबरें यह भी आ रही हैं कि इस बार जिस प्रकार से पत्थरबाजी की घटना में बेतहाशा वृद्धि हुई है उसक पीछे उसकी चाल यह भी है कि अब और आतंकवादियों को मरने से बचाया जाये। साथ ही पाक सेना व आईएसआई को पता है कि अब वह सीमा पर गोलीबारी करवाकर भारतीय सेना के साथ लोहा नहीं ले सकती इसलिए उसने बुरहान बानी की मौत को इस प्रकार से भुनाने की घिनैानी साजिश रच डाली है। जिसके शिकार कश्मीर के युवा हो चुके हैं।
आज बुरहान की मौत पर पूरा कश्मीर जल रहा है। अब तक 24 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और पत्थरबाजी तथा अन्य हिंसक घटनाओं में दो सौ से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। अमरनाथ यात्रा रोक दी गयी है जिसे फिलहाल फिर से बहाल कर दिया गया है । पुलिसबलों पर पागलपन की हद तक हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह हिंसक प्रदर्शन अमरनाथ यात्रियों को रोकने के लिए भी किया जा रहा है। यह हिंसा कश्मीरी पंडितों के खिलाफ भी है।
सभी प्रकार के कार्यक्रमों व परीक्षाओं आदि का आयोजन रदद किया जा रहा है। इस बेहद तनावपूर्ण घटनाक्रम में जेएनयू के देशद्रोही छात्र उमर खालिद ने एक बार फिर अपना असली रंग दिखा दिया है। अब देश के तथाकथित सेकुलर दलों को लगता है कि सांप सूंघ गया है।
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि भारत सरकार व यहां की जनता की ओर से कश्मीर को जा पर दिया गया व दिया जा रहा है वह एक झटके में सब बेकार हो गया है। कश्मीर की जनता अब काफी अच्छे से भारत विरोधी हो चुकी है। इसके पीछे अलगावादी ताकतें ही हैं जिनको काफी छूट दी गयी यह सभी ताकतें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शैतानी ताकतें हैं जो कश्मीर को भारत से हर हाल में अलग करना चाहती हैं। लेकिन इन ताकतों को यह अच्छी तरह से पता होना चाहिये कि आतंकवाद के माध्यम से या फिर पत्थरबाजी अन्य हिंसक घटनाओं को अंजाम देकर वे कभी भी कश्मीर को भारत से अलग नहीं करवा सकेंगे। कश्मीर भारत का अभिन्न है था और रहेगा। अपितु अब यही सही समय है कि जब अलगावादियों ओैर उनका समर्थन करने वाले सभी तत्वों के खिलाफ बेहद निर्ममता पूर्वक कार्यवाही की जाये। पत्थरबाजों और हिंसक घटनाक्रम के बीच इन लोगों के आगे न झुका जाये। अब समय आ गया है कि भारत पाक अधिकृत गुलाम कश्मीर को आजाद करवाने के लिए सीधी कार्यवाही आरम्भ करें। सर्वाधिक गंभीर तथ्य यह भी है कि भारत विरोधी और पाक समर्थक नारेबाजी कश्मीर के सीमावती इलाकों में स्थित मस्जिदांे से भी होने लग गयी है। इन स्थलों पर वहां पर पाक व आईएस के झंडे फहराये जाते हैं। इन जगहों पर निगरानी व आवश्यकता पड़ने पर उन्हें गिराने आदि की कार्यवाही की जाये। कश्मीर के ताजा घटनाक्रम के पीछे जिन तत्वों पर भी किसी भी प्रकार के शक व संदेह की सुई पैदा हो उसके खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाने का सही समय आ गया है। अब अलगावादियों व पाकिस्तान के प्रति किसी भी प्रकार की नरमी बेहद खतरनाक होगी। इस पूरे मामले में देश के अंदर जो राजनैतिक एकता व सहमति बनोन का प्रयास किया जा रहा है वह एक सराहनीय कदम है। पूरे मामले कांग्रेसअध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने जिस प्रकार से आक्रामक तेवर आतंकवाद व अलगाववाद के चिालाफ दिखाये हैं व सरकार के साथ खड़ी दिखायी दीं वह सराहनीय है तथा आशा की जानी चाहिये की आगे आने वाले दिनों में कम से कम जम्मू कश्मीर व आतंक के खिलाफ लड़ाई्र में कांग्रेस व शेष विपक्ष सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा होगा और पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया जायेगा।
प्रेषक- मृत्युंजय दीक्षित