फर्क है बस किरदारों का बाकी खेल पुराना है ….

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एल.आर.गाँधी

लूटना और लुटाना हमारा राष्ट्रिय व्यसन रहा है. अंग्रजों ने २०० साल राज किया और दो शताब्दियों में लगभग एक लाख करोड़ की लूट की. देश की जनता और आजादी के परवानों ने अनगिनत कुर्बानिय दे कर देश को अंग्रेजों से आज़ाद करवाया ताकि इस देश की धन संपदा इस देश की गरीब जनता को नसीब हो और वे अपना भविष्य संवार सकें. अँगरेज़ तो चला गया – उनका स्थान ले लिया हमारे सफेद पोश काले अंग्रेजों ने …. लूट बदस्तूर जारी है . .. महज़ ६४ साल में हमारे इन काले अंग्रजों ने देश का २८० लाख करोड़ विदेशी बैंकों में पहुंचा दिया.अंग्रेजी हकुमत के वक्त जो काम अंग्रेजों के लिए हमारे रजवाड़े- ज़मीदार और सत्ता के दलाल करते थे- वही काम आज के हुक्मरानों ‘काले अंग्रेजों’ के लिए – अफसरान, बिचौलिये और व्यवसाई वर्ग कर रहा है. जनता पर नए नए कर लगा कर सरकारी खजाना पहले तो भरा जाता है और फिर नई नई योजनाओं के नाम पर लूटा जाता है.

१८५७ के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद ,लोगों ने अँगरेज़ को लगान देना बंद कर दिया और अंग्रेजों को अपनी सेना को पगार के लाले पड़ गए. पंजाब के अँगरेज़ गवर्नर ने बफादार रजवाड़ों और ज़मीदारों को माली सहायता की अपील की . महाराजा पटियाला अग्रेजों के ख़ासम- ख़ास थे- जोश में आकर ५ लाख रूपए भेंट कर दिए…अब सरकारी खजाना ख़ाली हो गया तो रियासत की जनता पर नए नए टैक्स लगाए गए. शहर के रेड लाईट एरिया धरम पूरा बाज़ार के लिए बाहर से लाई जाने वाली वेश्याओं पर ‘ चुंगी’…..इन रजवाड़ों की अँगरेज़ भक्ति ने देश की आज़ादी ९० साल पीछे धकेल दी. वही काम आज देश पर हकुमत कर रहे ये वजीर और अफसर किये जा रहे हैं . महगाई और लूट खसूट के चलते देश की आधी से अधिक जनता भुखमरी की शिकार है…. और जिन बजुर्गों ने अंग्रेजी दौर देखा है वे आज कानून व्यवस्था और प्रबंधन व् महगाई के मामले में अंग्रेजी दौर को बेहतर मानते हैं. क़ानून पहले भी अमीर के लिए और व् गरीब के लिए और था. और हालात आज उससे भी बदतर हैं.

उस दौर में सारा धन वैभव अँगरेज़ हुक्मरान और देसी रजवाड़ों और नवाबों तक सीमित था आज सफ़ेद पोश नेताओं , अफसरों और सत्ता के दलालों के हाथ में है.

तोहमतें आएँगी नादिर शाह पर

आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करें .

कहते हैं विदेशी हमलावरों ने इस देश को खूब लूटा – मुहम्मद गौरी, नादिरशाह, अहमदशाह अब्दाली और कंपनी बहादुर.. जो काम आज की ‘खबरियां’ – राडिया और बरखा दत  राजा और टाटा के लिए कर रही हैं वही काम मुग़ल काल में ‘शोलापुरी बेगम और मुघलाई बेगम ने अहमद शाह अब्दाली के लिए बखूबी सरंजाम दिया. मुघलाई बेग़म ने दिल्ली की लूट में शाह के लिए मुख्य खबरी का काम किया और इनाम पाया. शोलापुरी बेगम ने शाह के लिए उस हवेली की निशान देहि की जहा शाही खजाना दफ़न था. शाही दरबारियों द्वारा औरंगजेब काल से पिछले ७० साल में हिन्दुस्तानी रियाया से लूटा गया – सोना ,चाँदी, हीरे, मोती सब अब्दाली के सिपाहियों ने लूट लिए. अब्दाली द्वारा लूटी गयी ३० करोड़ की अकूत धन दौलत २८००० हाथी,घोड़ों,ऊंटों बैलगाड़ियों और सिपाहींयों पर लादी गई.

आज की अपने ही राज नेताओं की लूट चुप चाप हसन अली जैसे सत्ता के दलालों द्वारा हवाला के ज़रिये विदेशी बैंकों में जमा हो जाती है.फिर देश का पैसा बिना रोक टोक विदेश लेजाने की सुविधा भी हमारे हुक्मरानों ने मुहैया करवा रखी है. बाई एयर VIP और VVIPमहानुभावों के सामान की कोई जांच नहीं की जाती जिनमें केंद्र के शीर्ष सत्ताधारी , जज, मुख्यमंत्री आदि के इलावा देश की ‘राजमाता ‘ के ज्वायीं राजा राबर्ट वढेरा भी शामिल हैं …. ताकि लूट का पैसा चुप चाप बाहर लेजाया जा सके.

बाबा रामदेव और अन्ना के हो हल्ले ने अब इन लुटेरों को सतर्क कर दिया है – अब स्विस बैंकों का पैसा ये ठिकाने लगाने की जुगत लड़ा रहे हैं. ८ जून को युवराज- राजमाता अपने खासमखास लोगों के साथ एक निजी जेट से स्विट्ज़रलैंड चुप चाप हो भी आए हैं – देश के वाच डाग यानिके मिडिया वाले मस्त हैं- हों भी क्यों न ? १८०० करोड़ का विज्ञापन ग्रास जो मिल गया है.

 

 

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

3 COMMENTS

  1. उतिष्ठकौन्तेय – गीता में भगवान कृषण ने कुंती पुत्र अर्जुन को कहा था ‘उठो और गांडीव सम्हालो’ आज ५४ % भारतीय भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानते – हमारा काम उन्हें जगाना है…..विमलेशजी व् सुनील – इस अभियान में सहभागिता के लिए धन्यवाद !

  2. साथियों इस खेल को कौन चला रहा है हम और तुम

    अन्यथा इन देसी विदेशी कुत्तो की क्या मजाल .

  3. श्री गांधीजी ने क्या खूब लिखा है. खिलाडी बदल गए, खेल पुराना है. पूर्ण सहमत. धन्यवाद.

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