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महत्वाकांक्षायें संतुलित एवं वास्तविक धरातल पर हों - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डा. राधेश्याम द्विवेदी मानव के मन में ना जाने कितनी तरह की इच्छाएं जन्म लेती रहती हैं और हर व्यक्ति इसे पूर्ण करने के प्रयास में जुटा रहता है। जिन इच्छाओं में अपना महत्व या रुतबा दिखाने-बढ़ाने की चाह हो, वह महत्वाकांक्षा है। अध्यात्म महत्वाकांक्षा को अच्छा नहीं मानता। आकांक्षा…