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 लोकतंत्र का भविष्य समन्वय में है संघर्ष में नहीं ’ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र लोकतंत्र में प्रयुक्त ‘लोक‘ शब्द अपने अपार विस्तार में समस्त संकीर्णताओं से मुक्त है । ‘लोक’ जाति-धर्म-भाषा-क्षेत्र-वर्ग आदि समूह की संयुक्त समावेशी इकाई है, जिसमें सहअस्तित्व का उदार भाव सक्रिय रहकर ‘लोक‘ को आधार देता है। ‘लोक‘ में सबके प्रति सबकी सहानुभूति का होना आवश्यक है।…