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रोमिला थापर का पाखंडी स्वरूप - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ शंकर शरण भारतीय परंपरा में साधुओं के साथ-साथ शिक्षकों, विद्वानों को भी सहज सम्मान देने की प्रवृत्ति रही है, लेकिन जिस तरह रंगे कपड़े पहनकर नकली लोग भी कई बार “साधु” कहला लेते हैं, उसी तरह बड़े अकादमिक पद पर रहकर सामान्य लफ्फाज भी “विद्वान” कहलाते हैं। एक उदाहरण…