हृदय रोगों का हिन्दुस्तानी समाधान

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अमेरिकन नहीं, भारतीय एच डी एल

-डॉ. राजेश कपूर

समाचारों के अनुसार अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के खोजियों ने दावा किया है कि उन्होंने स्वर्ण के प्रयोग से ‘एच डी एल’ का निर्माण कर दिया है। सोने के नैनो कणों से बना यह ”सिन्थैटिक एच डी एल” कोलेस्ट्रॉल के बुरे प्रभावों को रोकने का काम करता है। कोलेस्टॉल के कारण बढ़ा एल डी एल हृदय के लिये घातक सिद्ध होता है जबकि ‘एच डी एल’ उसके बुरे प्रभावों को समाप्त करने में कारगर सिद्ध होता हैं। तले पदार्थों का स्वाद लेने से वंचित हृदय रोगीं भी तला-भुना इस नए एच डी एल की मद्द से खा सकेंगे।

भारतीय समाधान

नि:सन्देह नार्थ वेस्ट्रन विश्व विद्यालय की खोजी यह दवा शायद लाखों रुपये मूल्य की होगी, बार-बार खरीदनी पड़ेगी। पर इसका भारतीय समाधान अत्यंत सरल और सस्ता है। एक पतीली में आधा लिटर पानी में एक शुध्द सोने की जंजीर, सिक्का या कोई गहना जो नग, रंग रहित हाक डालकर इतना पकाएं कि वह पानी आधा रह जाए। बस आपका नैनों स्वर्ण तैयार है। गहना निकाल कर पानी को किसी कांच के पात्र में रखें ठण्डा होने दें। दिन भर में 2-3 बार इसे पी जाए। आपका कोलेस्टॉल काबू में आ जायेगा। खर्च होगा एक साल में आधा ग्राम स्वर्ण यानि केवल 1000 रु. यानि रोज का तीन रु. से भी कम खर्च और हृदय रोग से दूर। एच डी एल लगभग मुफ्त में मिल जाएगा।

गौघृत का कमाल

अनेक खोजों द्वारा प्रमाणित हो चुका हैं कि गौघृत से हृदय रोग नहीं होता। इसका एक कारण है उसमें पाए जाने वाला स्वर्ण अंश। केवल भारतीय गौवंश की रीड़ में सूर्यकेतु नाड़ी होती है जो सूर्य से स्वर्ण के अंश प्राप्त या पैदा करती है । शायद तभी वह कोलेस्ट्रॉल को नहीं बढ़ाता। गौमूत्र में भी स्वर्ण के अंश पाए गए हैं।

स्वर्ण और गौमूत्र का कमाल

अमेरिका ने स्वर्ण के अणुओं के कोलेस्ट्रॉल पर प्रभाव का अध्ययन करके कोई बहुत बड़ा कमाल नहीं किया। भारत में आज भी दर्जनों दवाएं स्वर्ण युक्त बनती है। स्वर्ण रहित दवा अल्प प्रभावी होती है और स्वर्ण युक्त होने पर अत्याधिक प्रभावी हो जाती है। स्वर्ण के इस गुण को भारतीय आचार्यों ने कई हजार वर्ष पहले ही जान कर प्रयोग करना शुरू कर दिया था। अमेरिका केवल कोलेस्ट्रॉल पर स्वर्ण के प्रभावों तक ही पहुंचा है।

गौमूत्र की भावना होकर बने आयुर्वेदिक योगों में भी स्वर्ण जैसे गुण आ जाते हैं। गौमूत्र में पाए जाने वाले अनेक उपयोगी पदार्थों के इलावा उसमें स्वर्ण भी होता है। गौमूत्र के अनेक गुणों का कारण उसमें पाया गया यह सोना भी हैं।

मर्दन से गुण संवर्धन यानि नैनों अणु प्रयोग

नैनों अणुओं में स्वर्ण को तोड़कर उसका प्रयोग भारत के लिये कोई नई खोज नहीं। स्पष्ट वर्णन हैं ”मर्दनम् गुण वर्धनम्” अर्थात घोटने-पीसने से गुण बढ़ते हैं। स्वर्ण वर्क बनाना, उन्हें घण्टों पीसना, स्वर्ण भस्म बनाना आदि सब नैनो टैक्नोलॉजी ही तो हैं। अन्तर केवल इतना हैं कि पश्चिमी ने इस विज्ञान को नया नाम दे दिया, हमने बहुत कुछ भुला दिया।

निष्कर्ष :- स्वर्ण का प्रयोग सूक्ष्म मात्राओं में करने से हानिकारक कोलेस्ट्राल (LDL)का प्रभाव घटता हैं और लाभदायक  (HDL) का प्रभाव बढ़ता है। अत: सोना पहना, उसे उबालकर पीना, स्वर्ण भस्म, वर्क आदि का प्रयोग उपयोगी है।

भारतीय गौवंश के घी, दूध का हर सम्भव प्रयोग करें। हो सके तो गौमूत्र का प्रयोग भी रोज एक बार करें।

सन्दर्भ : जनरल ऑफ अमेरिका कैमिकल सोसाईटी में अमेरिकन शोध की रपट।

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डॉ. राजेश कपूर
लेखक पारम्‍परिक चिकित्‍सक हैं और समसामयिक मुद्दों पर टिप्‍पणी करते रहते हैं। अनेक असाध्य रोगों के सरल स्वदेशी समाधान, अनेक जड़ी-बूटियों पर शोध और प्रयोग, प्रान्त व राष्ट्रिय स्तर पर पत्र पठन-प्रकाशन व वार्ताएं (आयुर्वेद और जैविक खेती), आपात काल में नौ मास की जेल यात्रा, 'गवाक्ष भारती' मासिक का सम्पादन-प्रकाशन, आजकल स्वाध्याय व लेखनएवं चिकित्सालय का संचालन. रूचि के विशेष विषय: पारंपरिक चिकित्सा, जैविक खेती, हमारा सही गौरवशाली अतीत, भारत विरोधी छद्म आक्रमण.

11 COMMENTS

  1. एक नवीन जानकारी इसी विषय पर पाठकों से सांझी करनी है. ज्ञान तो पुराना है पर मेरे द्वारा यहाँ प्रस्तुति पहली है. यदि पुनर्नवा के पंचांग का चूर्ण २-३ चम्मच की मात्रा में हर रोज़ पानी या गो के दूध से (चीनी का प्रयोग न करें) प्रातः काल लेते रहें तो आश्चर्य जनक परिणाम मिलेंगे. आर्टरी-ब्लोकेज समाप्त हो जायेगी और आपरेशन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.तीन माह तक इस प्रयोग को करना प्रयाप्त होगा, अधिक समय तक प्रयोग करने से भी हनी कोई नहीं, लाभ ही होगा. ह्रदय के इलावा गुर्दे, लीवर आदि भी स्वस्थ हो जायेंगे. पुनर्नवा पंचांग ६ मॉस से अधिक पुराना न लें. मिल सके तो ताज़ा ही लें.

  2. डा. सिन्हा जी ये बात तो सही है की बाज़ार में मिलने वाले स्वर्ण योग हो सकता है की बहुत विश्वस्त न हों. हम स्वरण भस्में खरीदते ही नहीं. स्वर्ण वर्क लेकर उनकी घुटाई शुगर ऑफ़ मिल्क में कर लेते हैं. खांड या शक्कर में भी की जा सकती है. इसके इलावा स्वर्ण को पानी में रात भर भिगो कर भी प्रयोग किया जा सकता है.
    – हमारे गाँव में आज भी एक प्रयोग प्रचलित है. जब घीया, तोरी आदि के फूल गलने-झड़ने लगते हैं तो रात को पानी में थोड़ा गंगाजल, सोना व गोमूत्र दाल कर रख देते हैं. प्रातः बेलों पर उसे छिड़क देते हैं. केवल इतने मात्र से बेलें गलानी बंद हो जाती हैं और फूल-सब्जी लगाने लगती है.
    *सहगल जी आप के लिए मेरा सुझाव है कि प्रतिदिन ४-५ पत्ते तुलसी के बिना चबाये पानी के साथ निगल लिया करें. उसके बाद एक घंटे तक दूध व दूध से बनी चीज़ें न लें, दही या ख्मेर वाला आहार लेना मन नहीं है. स्टंट डालने से पहले ही संपर्क बन जाता तो आको जीवन भर दवा न खानी पड़ती और न ही ओपरेशन होता. फिर भी तुलसी बहुत लाभ करेगी.
    *पटेल जी गैस के लिए मेरा अनुभूत योग ये है कि चाय, कौफी बंद कर के कुछ दिन तक सोते समय एक चम्मच शहद या पुराना गुड एक चम्मच त्रिफला या पीली हरड के साथ लें, अनेक लाभ होंगे. जब भी कभी पित्त या गैस हो इसकी आधी मात्रा ले लें, तुरंत आराम आयेगा. अकेली हरड की एक चुटकी भी अपना कमाल दिखा देती है.
    * विजय जी और अज्ञानी जी का धन्यवाद.
    * आदरणीय तिवारी जी ईश्वर कृपा से मुझे मिले मेरे ज्ञान का कुछ लाभ उठायें तो मुझे प्रसन्न्ता होगी. व्यर्थ के नकारात्मक कार्यों से नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है. अमूल्य समय निकाल कर टिपण्णी करने के लिए धन्यवाद.

  3. हम भारतीय स्वर्ण का उपयोग युगों-युगों से कर रहे हैं.इसका महत्व और लाभ क्या हैं इस बारे में नई बातें पता चली. स्वर्ण के बारे में इतना कुछ बताने के लिये धन्यवाद

  4. aap apne pryogon ko istemaal karen .khush rahen muskrayen.bahut labhkari anveshan hai aapka .kintu kisi videshi vishwviddyalay dwara prmnit siddhant ya utpaad ko hi aap maany kyon karenge ?sachche deshbhkton ko shobha nahin deta ki videshi vastu videsi vichar ya videshi dav ko many kare .aapke adhikans lekhon se yahi jhalak raha hai .aapko or aapke kchh bagalgeeron ko muft ki salah hai ki sachche desh bhkt ke naate apni shirt ke batan or silai bhi tod den apni ghadi fenk den apna chasma apna pen or apna p c computer-jo ki nitanat videshi vichar or takneki par aadharit hai use bhi kisi nali men fen den .fir langoti lagayen amboora bajye or gali gali jakar kahen ki -bhavti bhikshm deh .yhi aapka darshan yahi aapki philosophy hai jismen aapne dashhajar saal gujar diye or koi cheej aapke paas hai to wh aaj sb videshi fir bhi aap roj roj deshi videshi ka rag alapkar apni hi bhad pitwa rahe hain .aameen .chunki hindi system kam nahi kar raha varna bahut kuchh aadan prdaan ke liye hamare paas hai .

  5. उन्होंने स्वर्ण के प्रयोग से ‘एच डी एल’ का निर्माण कर दिया है! चलो अब अमेरिका इस सुवर्ण उपयोग का पेटेन्ट स्वामित्वाधिकार ले लेगा ! फिर हम उस दवा के लिये करोडो रुपये अमेरिकन कंपनी को देंगे. और फिर हम कहते फिरेंगे की यह दाव तो पुराने भारत की खोज है. भारत सरकार ऐसी आयुर्वेदिक दवा का पेटेन्ट स्वामित्वाधिकार लेने का प्रयास क्यो नही करती. पहले भी हल्दी, निम ,बासमती के बारेमे धोखा खा चुके है !

  6. आदरणीय कपूर जी को बहुत बहुत धन्यवाद.

    यह तो हम बहुत दिनों से जानते थे की आयुर्वेद में सभी इलाज है. किन्तु विश्वास नहीं होता था, कारन कभी किसी चिकित्सक ने जोर देकर नहीं कहा. आज के भौतिक वादी युग में तो जो दीखता है वही बिकता है. आजादी के बाद की ६३ साल की अंग्रेजी मानसिक गुलामी ने हमारे सोचने और विश्वास करने की ताकत ख़त्म कर दी है.

    आप जैसे लोगो को देखकर हमें फिर से हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति पर गर्व और पूर्ण विश्वास होने लगा है. आपने एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का बहुत आसान सा अयुर्वेदित इलाज बताया था.

    मैंने कुछ समय से गोमूत्र (स्वामी रामदेवजी, पतंजलि योगपीठ द्वारा निर्मित) का उपयोग प्रारंभ किया है और महसूस किया की गैस और कब्ज ले लिए अन्य दूसरी दवाओं से भी बहतु ज्यादा उपयोगी है.

    आशा है आप इस तरह की अमूल्य जानकारी आगे भी देते रहेंगे.

  7. “हृदय रोगों का हिन्दुस्तानी समाधान” – अमेरिकन नहीं, भारतीय एच डी एल
    -by- डॉ. राजेश कपूर

    (१) मेरे heart वाले २ stents ५ वर्ष से लगे हैं. तब से कोई समस्या कभी नहीं होई. परन्तु डॉक्टर सदा दवा लेने को कहते हैं और लगातार दावा लेता हूँ.
    (२) डा. कपूर साहेब का निष्कर्ष :- स्वर्ण का प्रयोग करने से हानिकारक कोलेस्ट्राल (LDL) का प्रभाव घटता और लाभदायक (HDL) का प्रभाव बढ़ता । अत: सोना पहनना, उसे उबालकर पीना, स्वर्ण भस्म, वर्क आदि का प्रयोग उपयोगी है।
    (३) ऊपर लिखे स्वर्ण के प्रयोग से प्रभाव के पढने से याद आया कि दिल के दौरे से कुछ वर्ष पूर्व मेरे हाथ की अंगुठी गिर गयी थी और इस बार गुम्म अंगूठी के स्थान पर नयी नहीं बनवाई और अंगूठी पहनना बंद हो गया. स्वर्ण का कुछ और प्रयोग कभी नहीं था.
    (४) अब डा. साहेब का लेख पढने से महसूस हो रहा है कि यदि सोने की अंगूठी पहनता रहता तो सम्भवता न केवल ढाई लाख के स्टंट्स नहीं डलवाने पड़ते और न ही इतने वर्षों से प्रति मॉस दवाई आदि पर हजारों का खर्चा कर रहा होता.

    What cannot be cured has to be endured.

    Now, wondering whether start using gold, as indicated, and stop medicines, under guidance, Sir ????

    अमेरिकन नहीं, भारतीय एच डी एल

    -डॉ. राजेश कपूर

  8. डॉ राजेश जी
    आवश्यकता है इन बिखरे हुए ज्ञान पुंजो के एकत्रित करने और उन्हे सभी की जानकारी में लाने की । कुछ समय पहले एक वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक से यात्रा के दौरान मुलाक़ात हुई थी। वे स्वर्ण भष्म स्वयं बनाते हैं । उनका कहना था बाजार में भी आयुर्वेदिक दवाएं स्तर की नहीं मिलती ।

  9. स्वर्ण की महत्वता को दर्शाने वाले आपके इस लेख के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! कृपया इसी तरह अपने ज्ञान से हम जैसे अज्ञानियों को ज्ञान बाँटते रहिये

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