महंगी चिकित्सा के अनुदान की रोशनी के दीप

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-ललित गर्ग-
भारत में क्राउडफंडिंग को प्रचलित करने एवं इसके माध्यम से दान को प्रोत्साहन देने के लिये इम्पैक्टगुरु डॉट कॉम का प्रयास विलक्षण है। भारत के लिये यह तकनीक एवं प्रक्रिया नई है, चंदे का नया स्वरूप है जिसके अन्तर्गत जरूरतमन्द अपने महंगे इलाज के लिये इसके माध्यम से धन जुटाने में इसका सहारा ले रहे हैं। इनदिनों देश में रेयर जेनेटिक डिस्ऑर्डर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी, टाइप 1 नाम की दुर्लभ एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके इलाज के लिये 16 करोड़ रु. की ज़ोल्गेन्स्मा एक अद्भुत, एकमात्र एवं दुनिया की सबसे महंगी दवा है। क्राउडफंडिंग की क्या ताकत होती है उसे इस बीमारी से पीड़ित अयांश गुप्ता की कहानी से हम समझ चुके हैं। अयांश की ही भांति इनदिनों मन्हा, तीरा कामत, ख्याति एवं राजवीर जैसे बच्चें इस बीमारी से जुझ रहे हैं, जिनके इलाज के लिये इम्पैक्टगुरु डॉट कॉम धन संग्रह का अभियान छेडे़ हुए है। इन चारों एवं अन्य बच्चों के लिये सोनू सूद, दीया मिर्जा, शिशिर शर्मा जैसी कई बॉलीवुड हस्तियां और क्रिकेटर मदद का आह्वान करते हुए आगे आये हैं एवं स्वयं ने अनुदान भी दिया है। इम्पैक्टगुरु डॉट कॉम के सह-संस्थापक और सीईओ पीयूष जैन एवं खूशबु जैन के अनुसार क्राउडफंडिंग की पावर देखकर खुशी होती है। उनका कहना है कि हम उदारता से दिये गये अनुदान को ज़रूरत से जोड़ते हैं और रोगियों को दुनियाभर से दान प्राप्त करने में मदद करते हैं। इम्पैक्टगुरु, भारत का अग्रणी क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है जो बिना किसी प्लेटफॉर्म शुल्क पर इस तरह की असाध्य बीमारी में धन उगाहने की जरूरतों में सहायता करता है।
क्राउडफंडिंग को भारत में स्थापित करने एवं इसके प्रचलन को प्रोत्साहन देने के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु डॉट कॉम एवं ऐसे ही अन्य मंचों के प्रयास उल्लेखनीय है। असाध्य बीमारियों के पीडितों के महंगे इलाज के कारण गरीब, अभावग्रस्त एवं जरूरतमंद रोगियों की क्राउडफंडिंग के माध्यम से चिकित्सा में सहायता के अनूठेे कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। दूसरों की मदद करके, इस दुनिया को सभी के लिए एक बेहतर जगह बनाने में योगदान देने को प्रोत्साहित करके इम्पैक्ट गुरु डॉट कॉम समाजसेवा एवं जनकल्याण का अद्भुत कार्य कर रहा है। निश्चित रूप से सच्ची खुशी पाने का एक निश्चित तरीका है दूसरों की मदद करना। किसी के दिन को थोड़ा बेहतर बनाना आपके अपने दिन को और भी उज्जवल बना सकता है।
बीमा एवं आयुष्मान भारत योजना के होते हुए भी आज अनेक रोगियों को अपेक्षित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है, वे महंगे इलाज के चलते अनेक आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं, उनके लिये क्राउडफंडिंग एक बड़ा सहारा बना है। क्राउडफडिंग अब लोगों के लिए गंभीर बीमारी बिलों के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने का एक पसंदीदा माध्यम बन गया है। अस्पतालों में बीमा के निम्न स्तर एवं जटिल प्रक्रियाओं को देखते हुए इसका प्रयोग एवं प्रचलन अधिक होने लगा है। दानदाताओं ने प्रत्यारोपण, हृदय शल्य चिकित्सा, प्रसव पूर्व देखभाल आदि के लिए धन देकर लोगों की जान बचाई है।
अभिनेता शिशिर शर्मा ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी,(एसएमए) के खिलाफ नन्ही मन्हा की लड़ाई में मदद का हाथ बढ़ाया है, अपने पिता द्वारा परित्यक्त, मन्हा की माँ अपने बच्चे को बचाने के लिए अकेले संघर्ष कर रही है। समय कीमती है और इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित इस गरीब बच्चे की जीवनरक्षा के लिये सहयोग की अपेक्षा है। उसके लिए एकमात्र इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवा ज़ोल्गेन्स्मा है, जिसकी कीमत लगभग 2.1 मिलियन डॉलर (लगभग 16 करोड़ रुपये) है। इसी तरह 23 मार्च 2022 को राजवीर का दूसरा जन्मदिन है और यह उसका आखिरी हो सकता है। उसका एकमात्र इलाज भी ज़ोल्गेन्स्मा ही है। हालांकि 2 महीने से भी कम समय में 16 करोड़ रुपये इकट्ठा करना अकल्पनीय लग सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से असंभव भी नहीं है। हम इस छोटे बच्चे को उसकी पीड़ा से बचा सकते हैं और उसके जन्मदिन से पहले उसे एक नया जीवन, उपहार में दे सकते हैं। ये बच्चे मदद के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हम अपने अनुदान से उनके नायक बन सकते हैं। तीरा कामत की भूरी आँखें, गुलाबी गाल और घुंघराले बालों ने दुनिया भर में 98,541 दानदाताओं का दिल जीत लिया! आज, वह खुशी-खुशी उन मील के पत्थरों को पकड़ रही है, जिन्हें उसने याद किया था। तीरा के लिये दिया गया अनुदान न केवल एक रोशनी बना है, बल्कि एसएमए से लड़ने वाले अन्य बच्चों के लिए इलाज के अवसर भी खोले हैं। इम्पैक्टगुरु के सामने एसएमए के 40 से अधिक मामले हैं। दानदाताओं के अनुदान के साथ, भारत में एसएमए से पीड़ित बच्चों को जल्द ही वह समर्थन और देखभाल मिल सकती है जिसके वे हकदार हैं।
भारत में ऐसी बड़ी बीमारियों के अलावा हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिये अब क्राउडफंडिंग का सहारा लिया जा रहा है। आने वाले समय में क्राउडफंडिंग न केवल जीवन का हिस्सा बनेगा बल्कि अनेक बहुआयामी योजनाओं को आकार देने का आधार भी यही होगा। आम नागरिक को चिकित्सा सेवा और जनकल्याण के कार्यों के लिये क्राउडफंडिंग को बढ़ावा देना चाहिए। भारत में सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों की तुलना में अधिक सक्षम बनाने की जरूरत है, तभी हम वास्तविक रूप में महंगे चिकित्सा की खामियों का वास्तविक समाधान पा सकेंगे लेकिन इसके साथ-साथ क्राउडफंडिंग के माध्यम से जरूरतमंद एवं गरीब रोगियों की सहायता को भी प्रोत्साहन देने की जरूरत है। अवगत हो क्राउडफंडिंग, चिकित्सा खर्च के लिए ऑनलाइन धन जुटाने का एक वैकल्पिक तरीका है। रोगी के दोस्त या परिवार के सदस्य एवं दानदाता मुख्य रूप से सोशल मीडिया नेटवर्क पर भरोसा करते हुए संबंधित चिकित्सा बिलों के धन का दान करते हैं। क्राउडफंडिंग का अतिरिक्त लाभ यह है कि मरीजों को उस धनराशि को वापस नहीं करना पड़ता है क्योंकि ऑनलाइन प्रदान किया गया धन दान है न कि ऋण।
हमारे देश में क्राउडफंडिंग के माध्यम से करोड़ों रूपयों की चिकित्सा सहायता एवं अन्य जरूरतों के लिये आर्थिक संसाधन जुटाये जाने लगा हैं। केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी क्राउडफंडिंग का प्रचलन बढ़ रहा है। भारत के सुनहरे भविष्य के लिए क्राउडफंडिंग अहम भूमिका निभा सकती है। क्योंकि क्राउडफंडिंग से भारत में दान का मतलब सिर्फ गरीबों और लाचारों की मदद करना समझते आ रहे हैं जबकि अब कला, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा और मनोरंजन को समृद्ध करने का भी सशक्त माध्यम है। ऐसा होने से क्राउडफंडिंग की उपयोगिता एवं महत्ता सहज ही बहुगुणित होकर सामने आयेंगी।

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