ज्ञान का उजियारा फ़ैलाने वाले साक्षरता कर्मियों का जीवन अंधकारमय

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   भगवत कौशिक

अनपढ़ ग्रामीण महिला -पुरुषो को साक्षर बनाने और सरकारी योजनाओ में बढ़ चढ़ भाग लेने वाले शिक्षा प्रेरक आज दर -दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है | हम बात कर रहे है साक्षर भारत मिशन के तहत लगी देश की लगभग 160000 महिला शिक्षा प्रेरको सहित 321000 के करीब साक्षरता कर्मचारीओ की जो पिछले एक – दो साल से रोजगार बहाली की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन से लेकर दर दर की ठोकरें खाने पर विवश हैं।आप को बता दे कि देश के 25 राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश सहित 26 राज्यों के 365 जिलों के 4263 ब्लाकों की 157875 ग्राम पंचायतो में जंहा महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम थी वहा पर राष्ट्रीय साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथॉरिटी द्वारा साक्षर भारत मिशन कार्यक्रम की शुरुवात की गई | राज्यों में साक्षर भारत मिशन को सुचारु रूप से चलाने की जिमेवारी राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथॉरिटी को दी गई | प्रत्येक जिले में एक सरकारी कर्मचारी को मिशन कोऑर्डिनेटर की जिमेवारी सौंपी गई व एक जिला कोऑर्डिनेटर को 10000 रुपये प्रतिमाह ,एक अकाउंटेंट जिसको 7500 रुपये प्रतिमाह व एक चपरासी जिसको 6000 रुपये प्रतिमाह और ब्लॉक लेवल पर सभी ब्लॉकों में एक एक ब्लॉक कोऑर्डिनेटर जिसको 7500 रुपये प्रतिमाह के मानदेय के आधार पर नियुक्त किया गया | प्रत्येक गांव मे एक महिला और एक पुरूष की नियुक्ति शिक्षा प्रेरक पद पर की गई।लगभग देश मे 150000 से ज्यादा लोक शिक्षा केंद्र खोले गए जिनके माध्यम से स्कूल छोड़ चुके या अनपढ़ महिलाओ और 15 साल से ज्यादा उम्र के अनपढ़ो को अक्षर ज्ञान दिया गया । शिक्षा प्रेरकों को दो हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया गया।

 कई वर्षो तक सरकार की स्कीमों साक्षर भारत मिशन, ड्राप आउट बच्चो को स्कूल में लाने, बीएलो का कार्य, चुनाव ड्यूटी, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, कैशलैश आदि में प्रेरकों द्वारा सराहनीय योगदान देने के बावजूद 31 मार्च 2018 को इन शिक्षा प्रेरकों को घर का रास्ता दिखा दिया गया। कई राज्यों में तो राज्य सरकारों दवारा तो 2017 में ही प्रेरको को बजट की कमी का हवाला देकर  घर का रास्ता दिखा दिया | मिशन को बंद करने के समय अभी भी देश में लगभग  25 से 30 लाख असाक्षर बचे हुये है |  
 इन्ही शिक्षा प्रेरकों की बदोलत अगस्त 2015 में भारत ने बुनियादी साक्षरता परीक्षा में चीन के विश्व रिकार्ड को तोडक़र भारत को नम्बर-1 बनाया था व स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगो को स्वच्छता के प्रति जागरूक करके सरकार के मिशन को साकार किया |

यूपीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश में फैली हुई असाक्षरता को खत्म करने के लिए 08 सितम्बर 2009 को साक्षर भारत मिशन योजना को लांच किया जिसके माध्यम से देश के लोगो को असाक्षरता  के अंधेरे से निकालकर डिजिटलीकरण  कि ओर ले जाने व उसके बाद लोगो को एक ही जगह पर सारी सरकारी योजनाओ की जानकारी उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया | केंद्र और राज्य सरकार के बीच  मिशन को चलाने के लिए 75:25 का अनुपात व सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में क्रमशः 90:10 का अनुपात तय किया गया ,जिसके अनुसार इस मिशन पर खर्च का 75 प्रतिशत केंद्र सरकार व 25 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेंगी वही सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90 प्रतिशत केंद्र सरकार व 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेंगी | राज्यों में मिशन की शरुवात  14 दिसम्बर 2009 को हुई | मिशन के तहत असाक्षारो को पढ़ाने के लिए कक्षाओ की शरुवात जनवरी 2010 में हुई और इन नवसाक्षारो की परीक्षा/मूल्यांकन का पहला दौर सितम्बर 2010 में हुआ इसके बाद हर साल वर्ष में दो बार मार्च और अगस्त में परीक्षा/मूल्यांकन होती रही है आप को बता दे कि साक्षर भारत मिशन की शुरुवात के समय देश में असाक्षारो की संख्या लगभग केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार 70 लाख के करीब थी जिसमे एससी केटेगरी के पुरुषो की संख्या 4 लाख  व महिलाओ की संख्या 10 लाख ,एसटी केटेगरी के पुरुषो की संख्या 2 लाख व महिलाओ की संख्या 6 लाख, मुस्लिम केटेगरी के पुरुषो की संख्या 2 लाख व महिलाओ की संख्या 10 लाख ,जर्नल केटेगरी के पुरुषो की संख्या 2 लाख व महिलाओ की संख्या 34 लाख थी |कुल         26 राज्य                365 जिला        4263 ब्लॉक          157875 ग्राम पंचायतें
  शिक्षा प्रेरक      157875*2= 315750 
जिला समन्वयक     365*1=     365
ब्लॉक समन्वयक     4263*1=   4263
एकाउंटेंट             365*1=          365
चपरासी              365*1=          365
कुल साक्षरता कर्मचारी     321078
शिक्षा प्रेरक और सभी साक्षरता कर्मी सरकार से बस केवल यही मांग कर रहे है की सभी को उनकी योग्यतया  के अनुसार कही न कही शिक्षा विभाग में समायोजित किया जाये और कम से कम  न्यूनतम वेतनमान दिया जाये जिससे वे अपने परिवार की रोजी रोटी चला सके | सभी साक्षरता कर्मी सरकार की सभी योजनानाओ से ट्रेनेड है :अ:त सरकार को चाहिए कि इनको पुन: सेवा में लेकर इनकी समस्याओ का समाधान किया जाये |जब तक सरकार को इनकी जरुरत थी सरकार ने साक्षरता कर्मियों से जमकर काम करवाया ,लेकिन काम निकलने के बाद सरकार ने इनको सेवा से मुक्त करके इनके साथ धोखा किया है |सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम व लोकल ही वोकल अभियान को शिक्षा प्रेरको कामयाब बनाने का माद्दा रखते है इसलिए हमे मौका देना चाहिए।
== भगवत कौशिक 

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