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बत्तियां गुल हैं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हो गई बत्ती अचानक गुल, करूँ कैसे पढाई| हाथ को ना हाथ पड़ता है दिखाई | कॉपियों को पुस्तकों को नींद आई | क्या पता बस्ता कहाँ औंधा पड़ा है ? आज अपने बोझ से दिन भर लड़ा है | हाय उसके फट गए कोने , सभी उधड़ी सिलाई |…