आतंकवाद से जूझने का सरकारी तरीका

पूणें में 13 फरवरी 2010 को बम विस्फोट हुआ और उसमें अनेक निर्दोष लोग मारे गए और 100 के लगभग लोग घायल भी हुए। मरने वालों में और घायल होने वालों मे कुछ विदेशी लोग भी थे। वैसे तो पाक द्वारा 26/11 को मुंबई में भारत पर हुए आतंकवादी आक्रमण के बाद ही स्पष्ट हो गया था कि पाक इस क्षेत्र में एक लंबी रणनीती के तहत चल रहा है। भारत सरकार ने अपनी लंबी जांच पडताल के बाद और अमेरिका के सामने अनेक शिकायतें दर्ज कराने के बाद स्वयं ही इस बात की घोषणा की थी कि पाक आगामी दिनों में भी भारत के बडे शहरों पर आतंकवादी आक्रमण करेगा। सरकार ने पाक के आतंकवाद से लडने का अपना संकल्प भी उसी वक्त दोहरा दिया था। अब जो सूचनाएं छन-छन कर आ रही है उससे पता चलता है कि गुप्तचर संस्थाओं ने सरकार को सचेत कर दिया था कि पूणें में पाकिस्तान के आतंकवादी आक्रमण की जल्दी ही संभावना हैं।

यह निष्कर्ष निकाल लेना कि सरकार इस विदेशी आतंकवाद से लडने से पीछे हट रही है या फिर उसमें इस आतंकवाद से लडने की क्षमता हीं नहीं है, एक प्रकार से गैरजिम्मेदाराना हीं होगा। अलबत्ता सरकार के आतंकवाद से लडने के तौर तरीके को लेकर, या फिर उसके रणनीति को लेकर मतभेद जाहिर किया जा सकता है। लोक तांत्रिक व्यवस्था में इसे सकारात्मक हीं माना जाता है। अब तक के सरकारी तौर तरीके को देखकर जो निष्कर्ष निकलते हैं वे आशा कम जगाते हैं निराश ज्यादा करते हैं। अब यह बार-बार दोहराने की जरूरत नहीं है कि जिस वक्त गुप्तचर संस्थाएं पूणे पर होने वाले आतंकवादी आक्रमण की संकेत दे रही थी, उस वक्त सरकार की प्राथमिकता दर्शकों को माई नेम इज खान निर्विघनता से दिखाने की थी। महाराष्टन् की सारी पुलिस माई नेम इज खान के प्रदर्शन को सफल करनें में जूटी हुई थी। सरकार को इस बात की बधाई देनी होगी कि वह माई नेम इज खान को सफलता पूर्वक दिखाने मे कामयाब हो गई। यह अलग बात है कि वह किसके साथ थी। पूणें पर पाकिस्तान के आतंकवादी आक्रमण को रोकने में विफल हो गईं। परंतु यह अपनी-अपनी प्राथमिकता का प्रश्न है।

परंतु असली प्रश्न है कि पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादियों को भारत में प्रवेश करने से कैसे रोका जाए। कोई और देश होता तो सीमा पर चौकसी बढाता और आंतरिक व्यवस्था में गुप्तचर विभाग को मजबूत करता। परंतु भारत सरकार का इसके लिए भी तरीका लिग से हटकर है। सरकार ने अपने नए तरीकों में पाक अधिकृत कश्मीर से आतंकवादियों को भारत में पुन: निमंत्रित करके पूरे सम्मानजनक ढग से देश में बसाने की योजना पर काम शुरू किया है। कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला, कें द्र सरकार में मंत्री उनके पिता फारूख अबदुल्ला और देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम इस योजना को लेकर अत्यंत उत्साह में हैं। उनका कहना है कि इन आतंकवादियों का हृदय परिवर्तन हो गया है इसलिए अब उनका सम्मान पूर्वक स्वागत करना चाहिए। वैसे अबदुल्ला परिवार अनेक वर्षों से पाक के कब्जे वाले कश्मीर से लोगों को लाकर भारत में बसाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए उन्होंने कश्मीर विधानसभा में बकायदा एक अधिनियम भी पारित कर दिया था। भला हो न्यायपालिका की कि उसकी दखल अंदाजी से अबदुल्ला परिवार अपने इस खतरनाक योजना में कामयाब तो नहीं हो पाया लेकिन लगता है अब पी. चिदंबरम इसी योजना को लेकर अत्यंत उत्साह में हैं। परंतु ना तो अबदुल्ला परिवार के पास और ना पी. चिदंबरम के पास इस बात का उत्तार है कि आखिर उन्हें ये पता कै से चलेगा की वापस आए आतंकवादियों का दिल बदल चुका है और वे पूणें में जाकर बम विस्फोट नहीं करेंगे?

पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे इस आतंकवादी युद्ध से लडने की इस सरकारी नीति के दो आयाम हैं। पहला आयाम तो जिसकी हमनें उपचर्चा की है, पाकिस्तान से आतंकवादियों को वापस बुलाकर भारत में बसाना और दूसरा पाक के साथ हीं इसको रोकने के लिए सलाह मशवरा करना। पाकिस्तान मुंबई और पूणें पर आक्रमण भी करता रहेगा और भारत सरकार उसी से आतंकवाद रोकने की सांझी रणनीति बनाती रहेगी ऐसा के वल भारत में हीं संभव है। भीतरी सुत्र बताते हैं कि यह सब अमेरिका के दबाव में हो रहा है। जाहिर है जब भारत सरकार अमेरिका के पास शिकायतनामा लेकर जाएगी तो उसे उसकी सलाह भी माननी पडेगी। यह अलग बात है कि यह सलाह पाक और अमेरिका के हितों की ज्यादा रक्षा करती है, भारत के हितों की कम। वैसे भी अमेरिका के विश्लेषण को हीं वेद वाक्य मानकर भारत सरकार ने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि पाक भी आतंकवाद का उसी प्रकार शिकार है जिस प्रकार भारत।

केंद्र सरकार तो अपनी इस लाल बुझक्कडी रणनीति से आतंकवाद से लडने की योजना बना रही है। इस मामले में कांग्रेस का संगठन भी इस योजना में सरकार को सहायता देने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गया है। पुलिस बल अपनी जान हथेली पर रखकर जब आतंकवादियों को मारती है तो कांग्रेस ने उन आतंकवादियों के मानवीय अधिकारों की रक्षा का बीडा उठाया है। इस योजना के अंतर्गत कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में बटला हाऊस में हुई आतंकवादी मुठभेड के जांच करवाने का प्रश्न फिर से खडा कर दिया है। इस मुठभेड में पुलिस के मोहन लाल शहीद हो गए थे। और आतंकवादी भी मारे गए थे। सर्वोच्च न्यायालय तक इस मुठभेड को सही ठहरा चुका है पर कांग्रेस के महासचिव इसकी जांच करवाने पर अडे हुए है। लेकिन कांग्रेस अपने प्रयासों में यहीं तक नही रूकती, कांग्रेस के महासचिव आजमगढ में जाकर आतंकवादियों के परिवारों से मिलकर उनका हौसला बढा रहे हैं और उन्हें अन्याय से लडने के लिए तैयार कर रहे हैं। प्रश्न यह है कि आखिर सब जानते बुझते हुए कांग्रेस आजमगढ का अपना यह प्रयोग क्यों कर रही है? उत्तर स्पष्ट है कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए वोट चाहिए और उसका प्रयोग मुसलमानों के वोट पाने में सहायता कर सकता है। आखिर कांग्रेस के पास और विकल्प भी क्या है? सरकार बनेगी तभी तो आतंकवाद से लडेगी और सरकार बनाने के लिए आजमगढ में आतंकवादियों के परिवारों को मिलना, अफजल गुरू को जिंदा रखना, कुख्यात आतंकवादी सोहराबुदीन की मौत पर आंशु बहाना जरुरी है। लेकिन आजमगढ की प्रयोगशाला से जो सरकार बनती है वह पाक के आतंकवादियों को भारत में बसाने की योजना तो बना सकती है, लेकिन उनसे लडने की शक्ति नहीं। वह पाक के साथ बातचीत तो कर सकती है लेकिन पाक में काम कर रहे आतंकवादियों के शिविरों को धवस्त नहीं कर सकती।

– डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

4 COMMENTS

  1. delhi me 6 sal sarkar nda ne chalai tab sansad par hamla hua aur bjp ke videsh mantri aatankvadiyo ko lekar kabul gaye the tab kayo nahi pak ke shivir khatam kar diye bhai.atal ji to bus me beth kar lahor gaye the aur badle me kaya mila kargil.sari bahaduri tab hi dikhti he jab bjp satta me nahi hoti he.

    bhagat singh raipur

  2. न जाने और कितने और आतंकवादी हमले होने का इंतज़ार कांग्रेस नित केंद्र सरकार को है तभी महाराष्ट्र में सारे पुलिस प्रशासन माय नेम इस खान को प्रदर्शित करवाने में लगी रही ….और इसका सुअवसर आतंकवादियों ने उठाया और पुणे में हमला कर दिया ….इस बात की भी अब जांच होनी चाहिए की ऐसी क्या जरूरत थी माय नेम इस खान को प्रदर्शित करवाने के लिए साड़ी आतंकवादी धमकियों को ताक पर रखने की और पुरे महाराष्ट्र की पुलिस को इस सिनेमा के पीछे लगाने की …क्या शाहरुख खान ने इस बाबत बाल ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चौहान को कीमत चुकाया है .

  3. bahut badia kuldipji. jo virodh kar raha hai. vo apna name tak nahi bata pa raha hai. ese darpok aur namard log ke karan hi desh me ek ke baad ek aatanki hamle ho rahe hai. are bhaisahab virodh karana hai to apna naam bata kar karo na. istarah indian citizen likhkar bata diya hai ki aap kaun hai.

  4. श्शश. यह क्या कह रहे हैं आप. साम्प्रदायिकता भड़काना चाहते हैं देश में. छि:छि:, कैसी छुद्र मानसिकता से लेख लिखा है.

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